#MobLynchingOfSadhus : काशी के संतों में उबाल, सतुआ बाबा ने कहा उद्धव इस्तीफा दें, राजेश्वरानंद बोले बाल ठाकरे जिंदा होते तो ये न होता, पढ़िए लोगों ने और क्या कहा
#Varanasi : महाराष्ट्र राज्य के पालघर में दो दिन पहले भीड़ द्वारा पीटकर जान से मारे गए दो साधुओं और गाड़ी ड्राइवर की मौत पर धर्म की नगरी काशी में संतो में रोष है। वाराणसी स्थित श्रीपंच दशनाम अखाड़ा के संतो ने इस घटना की निंदा की है। महाराष्ट्र सरकार से इस घटना में शामिल आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

दरअसल, भीड़ के हमले से मरे दोनों संत कल्पवृक्ष गिरी (70), सुशील गिरी (35) बनारस में मौजूद जूना अखाड़े से संबंधित थें। घटना के संदर्भ में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरी ने महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र भी लिखा है। मुख्यमंत्री महाराष्ट्र उद्धव ठाकरे को लिखा यह पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
निंदनीय घटना है
काशी अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत रामेश्वरपुरी ने पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और अन्नपूर्णा मठ मंदिर की ओर इस घटना की घोर निंदा की है। उन्होंने कहा, सभी अखाड़े और संत पत्र के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराएं। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद संत समाज सीएम उद्धव ठाकरे से मिलकर यह बात कहे कि अगर दोबारा ऐसी पुनरावृत्ति होती है तो संत समाज इसका मुहतोड़ जवाब देगा। हम महाराष्ट्र सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं।

पुलिस बनी रही मूकदर्शक
काशी स्थित अक्षयवट हनुमान मंदिर के महंत नील कुमार मिश्रा ने इस घटना की घोर निंदा की है। उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदगी में उपद्रवियों ने दोनों संत व उनके ड्राइवर को लाठी-डंडे से पीटकर मार डाला। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। महंत परिवार संत समाज के साथ है। दोषियों के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार तत्काल व कठोर कार्रवाई करे।

उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से दें इस्तीफा
उक्त घटना के संदर्भ में महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा ने कहा कि देश में इस वक्त लॉकडाउन लागू है। उसके बाद भी सैकड़ों लोग सड़क पर उतरकर दो संतो और गाड़ी के ड्राइवर पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिए। वह भी उस महाराष्ट्र जैसे राज्य में जहां के मुख्यमंत्री हर वक्त हिंदुत्व की बातें किया करते थे। आज उनके कार्यकाल में ऐसी घटना हो रही है, मुझे लगता है उनको तत्काल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देनी चाहिए। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद समस्त अखाड़ा एकजुट होकर वहां जाकर आंदोलन भी कर सकता है।

यह स्थिति नहीं आती
महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि दोनों संतों और ड्राइवर की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मसले पर क्या जवाब देंगे? बाल ठाकरे अगर आज जिंदा होते तो यह स्थिति नहीं आती।

काशी विकास समिति ने मनाया काला दिवस
घटना के विरोध में काशी विकास समिति के सदस्यों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। समिति के गुलशन कपूर ने बताया कि यह निंदनीय घटना है। इसके खिलाफ कड़ाई से कार्रवाई होनी चाहिए और दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए।

कैसे बाहर निकली सैकड़ों की भीड़
घटना की निंदा करते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा कि भारत साधु संतों से का देश है। इस देश में ऐसी घटना की मैं घोर निंदा करता हूं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इस घटना में शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता हूं। मैं महाराष्ट्र सरकार से यह सवाल पूछना चाहता हूं कि महाराष्ट्र के पालघर में सैकड़ों की संख्या में भीड़ सड़क पर कैसे उतर आई? पुलिस ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

घटनाक्रम
इसी 16 अप्रैल को पंचदशनाम जूना अखाड़े के संत कल्पवृक्ष गिरी व सुशील गिरी कार से ड्राइवर निलेश तेलगड़े के साथ अपने गुरु श्री महंत रामगिरी जी की अचानक मौत के कारण उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई से गुजरात के लिए निकले थें। पालघर महाराष्ट्र के थाना कासा क्षेत्र के गढ़ चिंचले गांव के पास लॉकडाउन के बावजूद पहले से मौजूद 200 लोगों ने संतों की कार को रोककर पलट दिया। उन पर जमकर पथराव किया। वन विभाग के कर्मचारी ने रात तकरीबन 11 बजे थाना कासा की पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस ने संतों और ड्राइवर सहित तीनों को जीप में बैठाया। उपद्रवियों ने पुलिस की मौजूदगी में तीनों लोगों को लाठी-डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। संतो के पास मौजूद रुपये और भगवान के सोने के श्रृंगार का सामान भी लूट लिया गया। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए हमलावरों और 110 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें से 101 को 30 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है और नौ नाबालिगों को एक किशोर आश्रय गृह में भेज दिया गया है।