प्रभु नारायण राजकीय इण्टर कॉलेज में एक दिवसीय सीपीआर पर कार्यशाला का आयोजन : बच्चों को दी गई कार्डियक की प्रमुख जानकारी
Varanasi : प्रभु नारायण राजकीय इण्टर कॉलेज में एक दिवसीय सीपीआर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें वाराणसी के राजकीय चिकित्सा अधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने कॉलेज के समस्त छात्रो सहित अध्यापकों के सामने सीपीआर की लाइव प्रस्तुति दिया।

पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम
राजकीय चिकित्सा अधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने कार्डियक अरेस्ट आने पर बरती जाने वाली सावधानियों और सीपीआर की बारीकियों से सब को अवगत कराया।उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आजकल जांगिंग और डांस करते समय भी लोगों को कार्डियक अरेस्ट हो रहा है। ऐसी घटनाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। ऐसे समय में सीपीआर देने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए। बताया कि कार्डियक अरेस्ट के मरीज के लिए पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम होता है। अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेथ का शिकार हो सकता है। इस समय मरीज को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है।

डा. द्विवेदी ने बताया कि सीपीआर एक मेडिकल थेरेपी की तरह है। इससे हार्ट अटैक आने पर मरीज को सीपीआर देते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है। सीपीआर तब तक देते रहना चाहिए जब तक एंबुलेंस न आ जाए या मरीज अस्पताल या विशेषज्ञ चिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाए। ऐसा करने से मरीज के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि अगर व्यक्ति की सांस सा धड़कन रुक गई है तो ऑक्सीजन की कमी से शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगी है। इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। सही समय पर सीपीआर और इलाज शुरू नहीं होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इस विधि से व्यक्ति की सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को विशेष तरीके से दबाया जाता है।

दी गई लाइव प्रस्तुति
प्रशिक्षण के दौरान डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देने की लाइव प्रस्तुति दी। उन्होंने दिखाया कि सीपीआर के लिए सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। इसके बाद अपने दोनों हाथों की मदद से विशेष तरीके से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाना होता है। हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इससे शरीर में पहले से मौजूद रक्त को हृदय पंप करने लगता है। 30 बार पुश करने के बाद मुंह पर साफ रूमाल रखकर दो बार सांसें दी जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह शुरू होता है और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलने लगती है।

क्या होता है सीपीआर
कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक आपातकालीन प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप नहीं कर सकता है। इस दौरान कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री प्रभास कुमार झा , डॉक्टर मनोज कुमार पांडेय , डॉक्टर केशव कुमार कश्यप , रजनीकान्त त्रिपाठी व अन्य लोग मौजूद थे ।