पितरों के लिए खोला मोक्ष का द्वार : पिशाच मोचन सहित अन्य कुंड-तालाबों के पास हुआ पिंडदान
Varanasi : पितृपक्ष की अमावस्या पर रविवार को काशी के गंगा घाटों और कुंडों पर बड़ी संख्या में लोगों ने श्राद्ध और पिंडदान किया। पितरों को मोक्ष प्रदान करने के लिए सुबह से ही घाटों-कुंडों पर लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी।
श्रद्धा भाव के साथ स्नान करने के बाद मुंडन कराकर लोगों ने तर्पण और पिंडदान किया। अमावस्या होने के चलते आज पिंडदान करने वालों की संख्या रोज से अधिक थी। सबसे अधिक दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने पिशाच मोचन में पितरों के लिए पिंडदान कर मोक्ष की कामना की।
श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में स्नान करने के बाद पूजन-अर्चन कर तर्पण किया। दोपहर बाद तक दूरदराज से आए श्रद्धालु तर्पण में जुटे रहे। सैलून की दुकानों में भी मुंडन कराने को लोगों की भीड़ लगी रही।
गंगा तट पर भी लोगों ने मुंडन करवाया। पितरों की शांति के लिए लोगों ने मुंडन करवाने के बाद गंगा में स्नान कर पितरों को तर्पण किया। लोगों ने अपने पूर्वजों को पिंडदान करने के बाद घर पर बनें विविध प्रकार के व्यंजनों को चढ़ाकर प्रसाद ग्रहण किया।
जिन्हें छुट्टी नहीं मिलती, वे आज करते हैं श्राद्ध
अस्सी घाट स्थित बटुक महराज ने बताया, आज पितरों की अंतिम विदाई की चल रही है। इस दिन को विसर्जनी या महालया अमावस्या भी कहा जाता है। जिन लाेगों को पूरे पितृपक्ष के दौरान छुट्टी नहीं मिलती है, वो अमावस्या यानी की आज के दिन श्राद्ध करते हैं। पूजा का विधान बहुत विशिष्ट होता है। पूजा-पाठ में कई सामग्रियां इस्तेमाल होती हैं। तिल, जौ, मधु, आटा गुड़ और घी आदि चढ़ाकर पितरों की शांति का पाठ करते हैं।
15 दिन तक चढ़ता है जल
अस्सी घाट पर श्राद्ध करने आए रामनगर के नंदू सरदार ने कहा, हमारे पितृ लोग काफी खुश हैं। 15 दिन तक जल चढ़ता है और आज पितृपक्ष पूरा हो जाता है। आज के दिन पुरखे-पुरनिए, बाप-दादा के आत्मा की तृप्ति हो जाती है। पितरों पर आटा, गेहूं, चावल से पिंडदान किया। धूपबत्ती-माला और फूल चढ़ाएंगे। उनका आशीर्वाद लिया।



