राजनीति के फेरे : सोलह साल CM रहने के बाद अब राज्यसभा जाने की इच्छा जतायी, नीतीश कुमार हो सकते हैं उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार!

AaJ Express News Network
राजनीतिक गलियारे में आजकल एक चर्चा हवा में तैर रही है। क्या बिहार के मुख्यमंत्री अपना पद छोड़ देंगे? क्या अब मुख्यमंत्री पद नीतीश के लिए कांटों की ताज हो गया है? ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है कि भाजपा में इस समय दोयम दरजे के नेता मुख्यमंत्री बदलने की मांग कर रहे हैं।
कुछ भाजपा विधायक तो उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को ही मुख्यमंत्री बनाने की भी मांग कर चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री बदलने की मांग पर भाजपा खेमें में कोई विरोध के स्वर सुनाई नहीं पड़ रहे हैं। अलबत्ता जेडीयू के कुछ नेता इन बयानों की खूब मजमत भी कर रहे हैं। फिर भी यह सवाल तो रह ही जाता है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली जाने वाले हैं।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि बिना आग के धुंआ कहां उठता है? अब आते हैं मूल प्रश्न पर की यह धुंआ क्यों उठ रहा है। दरअसल, बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खुद हीं कहना है कि बिहार के मुख्यमंत्री पद पर सोलह वर्ष बिताने के बाद वह अब किसी दिन राज्यसभा जाना चाहेंगे।
आपको जानकारी हो कि नीतीश कुमार अगर राज्यसभा जाते हैं तब वे बिहार के अन्य दो दिग्गज नेता यानी लालू प्रसाद यादव और सुशील कुमार मोदी की बराबरी कर लेंगे। ये दोनों नेता संसद और विधानसभा के सभी सदनों के सदस्य रहे चुके हैं। हालांकि, नीतीश कुमार केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी मंत्रिमंडल में कई बार सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन लगता है कि राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश कुमार अब राष्ट्रीय राजनीति की दूसरी पारी खेलने का मूड बना चुके हैं।
उपरोक्त खबरों को बल तब मिला जब गत दिनों बिहार विधानसभा में अपने कार्यालय में संवाददाताओं से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि वह अब किसी भी समय राज्यसभा के सदस्य बनना चाहते हैं। आपको जानना चाहिए कि नीतीश कुमार अब तक बिहार विधानसभा, विधान परिषद और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं।
पत्रकारों के साथ इस अनौपचारिक बातचीत में की गई टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में बड़ी अटकलों को हवा दे दी है। चर्चा है कि 16 साल से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के बाद अब नीतीश कुमार एक नयी भूमिका के लिए तैयार हैं। बात यहीं नहीं समाप्त होती है। चर्चाएं तो यहां तक चल रहीं हैं कि उन्हें अगला उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है।

उपराष्ट्रपति का पद अगले कुछ हीं दिनों में खाली होने वाला है। जब नीतीश कुमार से पूछा गया कि क्या वह नालंदा से सांसदी का चुनाव लड़ने की दौड़ में हैं। इस पर उन्होंने कहा, बिल्कुल नहीं। वे खत्म की जा चुकी बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, जहां उन्होंने पांच बार जीत हासिल की थी। बाढ़ के प्रमुख हिस्से अब नालंदा में हैं।
लेकिन यह पूछे जाने पर कि क्या वह राज्यसभा के सदस्य बनना चाहेंगे, उन्होंने कहा- मुझे राज्यसभा जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन अभी के लिए, मेरे पास मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां हैं। मैं 16 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहा हूं, तो मुझे नहीं पता…।
नीतीश कुमार की इच्छा की राजनीतिक हलकों में अलग-अलग तरह से कयास लगाए जा रहे हैं। बिहार जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि या तो उन्हें दिल्ली में एक प्रतिष्ठित जिम्मेदारी के बारे में बताया गया होगा या उन्होंने भाजपा नेतृत्व को एक आइडिया दिया है जिस पर वह विचार करने को तैयार हैं।
नीतीश ने 2020 के बिहार चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में बहुत कम स्थिति के साथ, उनकी जनता दल यूनाइटेड ने सहयोगी भाजपा की तुलना में कम सीटें जीतीं और कुल मिलाकर तीसरा स्थान हासिल किया। पिछले दो वर्षों में बिहार भाजपा के साथ उनकी साझेदारी तनावपूर्ण रही है। अब लगता है कि नीतीश कुमार खुद बिहार में अपनी प्रतिष्ठित विदाई की अंतिम पटकथा लिखते दिख रहे हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनके कार्यकाल में बिहार ने चतुर्दिक प्रगति की। चाहे सड़क हो, बिजली हो या क्राइम, हर मामले में बिहार एक बीमारू और पिछड़ा राज्य माना जाता था लेकिन नीतीश ने अपनी राजनीतिक इक्छा शक्ति के बल पर इसे विकास की पटरी पर लाया।आज बिहार बिजली उत्पादन को लेकर अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है और इसका सारा श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है। अब आने वाले दिनों में देखना है नीतीश का राजनीतिक भविष्य उन्हें किस ओर ले जाता है। तब तक इंतजार करना होगा।