शिव की नगरी में हर डगर राममय : रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का आगाज, रावण का जन्म हुआ, श्रीहरि ने दर्शन दिए
Sanjay Pandey
Varanasi : शिव की नगरी में भगवान राम को समर्पित रामनगर की हर डगर राममय हो उठी। हर-हर महादेव के साथ जय श्रीराम का उद्घोष गुंजायमान हुआ। भक्ति की गंगा में गोते लगाने के लिए नेमियों का हुजूम भी उमड़ा। विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला का मुक्ताकाशीय मंच भक्ति भाव से भर उठा। क्षीर सागर में तब्दील रामबाग में लाल-सफेद महताबी की रोशनी में शेषनाग की शैय्या पर विराजमान श्रीहरि विष्णु ने देवताओं के कल्याण के लिए दर्शन दिया।
रामनगर की रामलीला का शुभारंभ शुक्रवार को रावण जन्म के प्रसंग से हुआ। रावण ने भाइयों समेत घोर तप आरंभ किया। भगवान ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर रावण को वरदान दिया। ब्रह्मा जाने से पहले लंकिनी से कहते हैं कि राक्षस राज रावण लंबे समय तक लंका पर राज करेगा लेकिन एक समय ऐसा आएगा जब एक वानर का मुक्का तुमको विकल कर देगा। तब तुम समझ लेना कि रावण का अंत निकट आ गया है। ब्रह्मा से अभय का वरदान पाने के अहंकार में रावण ने अत्याचार शुरू कर दिया। कुबेर से पुष्पक विमान छीन लिया। मेघनाद ने देवराज इंद्र को जीता और इंद्रजीत की उपाधि पाई। अति तो तब हुई जब रावण ने राज्य में वेद-पुराण और श्राद्ध-हवन आदि पर रोक लगा दी। राक्षसों के अत्याचार से धरती कांप उठी। इंद्र की सलाह पर भयभीत देवों-ऋषियों ने वैकुंठ धाम जाकर भगवान विष्णु की स्तुति की। गाय का रूप धारण कर पृथ्वी ब्रह्मा जी के पास जाती हैं। रामचरित मानस के बालकांड की चौपाई के बाद लीला को कुछ समय के लिए विराम दिया गया। इसके साथ दूसरे प्रसंग में लाल-श्वेत महताबी को रोशनी से नहाया रामबाग पोखरा क्षीरसागर में तब्दील हो गया। शेष शैय्या पर लेटे श्रीहरि की झांकी सजाई गई। उनके चरण दबातीं भगवती लक्ष्मी व नाभि से निकले कमल पुष्प पर आसीन ब्रह्मा की मनोहारी झांकी देख श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव का जयघोष किया।
निकली शाही सवारी
परंपरा के अनुसार, शाम लगभग पांच बजे दुर्ग से काशी नरेश महाराजा अनंत नारायण सिंह की बग्घी पर शाही सवारी निकली। सबसे आगे पुलिस की जीप और उसके पीछे बनारस स्टेट का ध्वज लिए घुड़सवार चले। दुर्ग से बाहर आते ही इंतजार में खड़े अपार जनसमुदाय ने हरहर महादेव के उद्घोष से अगवानी की। लीला स्थल रामबाग पर 36वीं वाहिनी पीएसी की टुकड़ी ने हाथी पर सवार कुंवर अनंत नारायण सिंह को सलामी दी। इसके साथ ही माह भर शरद पुर्णिमा तक चलने वाली रामलीला का शुभारंभ भी हो गया।










