धर्म-कर्म : देव प्रबोधिनी एकादशी पर योग निद्रा से जागृत होंगे भगवान श्रीहरि, दीपक जलाने से जीवन के सभी तरह के पापों से मिलती है मुक्ति
कार्तिक माह की एकादशी तिथि की विशेष महिमा
Varanasi : देव प्रबोधिनी एकादशी पर योग निद्रा से भगवान श्रीहरि विष्णु जागृत होंगे। कार्तिक माह की एकादशी तिथि की विशेष महिमा मानी गई है। कार्तिक मास का यह प्रमुख पर्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव प्रबोधिनी हरि प्रबोधिनी, देव उठनी एकादशी के रूप में भी इस दिन की मान्यता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित लोकनाथ शास्त्री के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कार्तिक पूर्णिमा तक शुद्ध देसी घी के दीपक जलाने से जीवन के सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। देव उठनी एकादशी का व्रत महिलाओं के लिए समान रूप से फलदाई माना गया है। अपने जीवन में मन वचन कर्म से पूर्ण रूप विशेष फलदाई रहता है। भगवान श्रीहरी विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन क्षीर सागर में योग निद्रा हेतु प्रस्थान करते हैं। कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान श्रीविष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं। भगवान श्रीविष्णु के जागृत होते ही समस्त कार्यय शुभ मुहूर्त में प्रारंभ हो जाते हैं। इस बार 25 नवंबर को बुधवार को मनाया जाएगा।
विशेष पूजा करने का विधान
कहा, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 24 नवंबर मंगलवार को 2.30 पर लगेगी अगले दिन 5.10 तक रहेगी। एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन उपवास रखकर भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष पूजा करने का विधान है। व्रत करता को प्रातः काल अपने आराध्य देवी देवता की पूजा-अर्चना के बाद भगवान श्रीविष्णु की पूजा-अर्चना का संकल्प लेना चाहिए। श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, श्रीपुरुषसूक्त, श्रीविष्णु श्रीविष्णु नमः का जप करना चाहिए। आज ही के दिन मंडप बनाकर शालिग्राम जी के साथ तुलसीजी का विवाह रचाया जाता है।
दान देने की मान्यता
बताया, देव प्रबोधिनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तुलसीजी की रीत-रिवाज विधान से पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणपति जी की भी पूजा की जाती है। दिन में फलाहार ग्रहण करना चाहिए। अन्न ग्रहण का निषेध माना गया है। एकादशी तिथि भगवान श्रीविष्णु की श्रद्धा भक्ति भाव के साथ शुभ फलदाई माना गया है। आज के दिन स्नान-ध्यान करके उपयोगी वस्तुएं और दान देने की मान्यता है। व्रत रखकर भगवान श्रीविष्णु की आराधना करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।