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बेहतरीन प्रस्तुतियों में दर्ज हुई संकटमोचन संगीत समारोह की अंतिम निशा : सोनू निगम के तरानों ने जीता बनारस का दिल

Varanasi : विश्वप्रसिद्ध संकटमोचन संगीत समारोह के शताब्दी वर्ष की अंतिम निशा सदियों की बेहतरीन प्रस्तुतियों में दर्ज हो गई। अपनी मखमली आवाज से संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले प्रख्यात गायक सोनू निगम को सामने देख लोग झूम उठे। हर कोई अपने मोबाइल कैमरे में उन्हें कैद करने लगा। दर्शकों-श्रोताओं का प्यार देख सोनू निगम भाव विभोर हो उठे। सोनू निगम को सुनने के लिए रिकॉर्ड भीड़ उमड़ी। मध्य रात्रि के बाद मंच पर सोनू निगम पहुंचे।

दर्शकों की अधीरता बढ़ती जा रही थी और जैसे ही सोनू की झलक मिली दर्शक भी हर-हर महादेव का जयघोष करने लगे। सोनू ने भी हर हर महादेव से काशी की जनता का अभिवादन स्वीकार किया। पूरा प्रांगण श्रद्धालु और श्रोताओं से भरा हुआ था। संगीत समारोह के फिनाले पर उन्होंने इंडियन आर्मी को समर्पित करते हुए अपना सबसे लोकप्रिय गाना ‘संदेशे आते हैं, हमें तड़पाते हैं, वो चिट्ठी आती है, पूछे जाते हैं कि घर कब आओगे’ गााना गाकर हनुमत भक्तों को रुला दिया। इस दौरान उन्होंने ऑडियंस को शहीदों की कुबार्नियां याद दिलाई। सोनू ने कहा कि काशी की धरती ऊर्जा से भरी हुई है और यहां प्रस्तुति देना बेहद चुनौतीपूर्ण है, यहां हर श्रोता स्वयं कलाकार है।

साथ ही कहा कि हम बजरंगबली से प्रार्थना करते हैं कि जो भी सैनिक बॉर्डर पर तैनात है, वो एक दिन अपने घर वापस आए और परिवार के साथ समय बिताए। इसके बाद ‘कल हो न हो’ और ‘अभी मुझमे कहीं, बाकी थोड़ी सी है’ गाकर दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। सोनू निगम ने इससे पहले मंच पर आते ही पंडित भीमसेन जोशी और लता मंगेशकर एक शास्त्रीय संगत भी दर्शकों को सुनाकर भक्ति भाव से भर दिया।

संकट मोचन संगीत समारोह की दूसरी खास प्रस्तुति में पद्मश्री पंडित राजेश्वर आचार्य की स्वरचित राग रही। उन्होंने अपने दादा पंडित ओंकारनाथ ठाकुर की रचना और सूरदास की लिखी ओ मईया मोरी मैं नहीं माखन खायो, भोर भई गईयन के पाछे गाकर लोगों को भक्ति के रस में डूबो दिया। इसके बाद उन्होंने ठाकुर की जी का प्रिय भजन मत जा जोगी गाकर प्राचीन संगीत विधा की याद दिलाई। तबला पर संगत रही पं नंदकिशोर मिश्र, संवादिनी पर पं अशोक झा और वायलिन पर पं सुखदेव मिश्र की। गायन में सहयोग डॉ. प्रीतेश आचार्य, शिष्या डॉ. शिवानी आचार्य और डॉ. बच्चा बाबू वर्मा ने किया।

संकट मोचन संगीत समारोह की 7वीं और अंतिम निशा की शुरुआत ओडिसी नृत्य से हुई। पहली प्रस्तुति में रतिकांत महापात्रा ने भगवान राम के मनोभावों पर केंद्रित एकल प्रस्तुति दी। उनकी शिष्या प्रीतीशा महापात्रा और ऐश्वर्या सिंहदेव ने संत तुलसीदास की रचना ‘श्रीरामचंद्र कृपाल भजमन… ’ पर नृत्य किया। दूसरी ख्यात शिष्या राजश्री प्रहराज ने मंथरा के भाव जीवंत कर दिए। सुजाता महापात्रा ने सीता हरण के प्रसंग को नृत्य करके दिखाया। आखिरी प्रस्तुति पं. रतिकांत महापात्रा ने शबरी के कथा प्रसंग को मार्मिक मुद्राओं से अभिव्यक्त किया।

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