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चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणीं और ज्येष्ठा गौरी माता का दर्शन, दोनों मंदिरों में भक्तों की भीड़, इस तरह से आप भी पाएं मां की कृपा

Varanasi : चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी देवी के दर्शन का विधान है। वाराणसी के ब्रह्मा घाट पर स्थित माता के मंदिर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। वहीं दूसरे दिन ज्येष्ठा गौरी के दर्शन-पूजन की भी मान्यता है। इनका मंदिर कर्णघंटा के सप्तसागर क्षेत्र में स्थित है, जहां सुबह से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए करतबद्ध थे।

मंदिर के महंत राजेश सागर ने बताया कि भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्मा का अर्थ है तपस्या। तप का आचरण करने वाली भगवती जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यन्त भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बायें हाथ में कमंडल रहता है। जो देवी के इस रूप की आराधना करता है उसे साक्षात पर ब्रह्म की प्राप्ति होती है। दुर्गा सप्तशती में स्वयं भगवती ने इस समय शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है।

मंदिर के महंत राजेश सागर ने बताया कि मां ब्रह्मचारिणी को ब्रह्मा की बेटी कहा जाता है क्योंकी ब्रह्मा के तेज से ही उनकी उत्पत्ति हुई है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। मां के इस स्वरुप की आराधन करने पर शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग में वृद्धि होती है।

महंत ने बताया कि मां को लाल फूल का चढ़ावा बहुत पसंद है। वैसे, मां को खीर और मलाई का यदि भोग लगाया जाए तो मां प्रसन्न होती हैं क्योंकि मां को दूध की चीजें पसंद हैं। महंत ने बताया कि मां ब्रह्मचारिणी को नारियल अति प्रिय है, अगर मां को नारियल की बलि दी जाए तो सभी भक्तों की सारी मनोकामनाओं को मां पूर्ण करती हैं। मां के तेज की लीला अपरंपार है। यहां आकर जो भी मुरादें मांगी जाती है वो जरूर पूरी होती हैं।

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