चैत्र नवरात्र का सातवां दिन : मां कालरात्रि के दरबार में उमड़ा भक्तों का सैलाब, जानें क्या है माहात्म
नवरात्रि के सप्तमी तिथि को मां दुर्गा के कालरात्रि रूप के दर्शन पूजन का विधान है। काशी के कालिका गली में देवी कालरात्रि का प्राचीन मंदिर स्थापित है। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। माता के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। लोगों ने पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां दुर्गा के सातवें स्वरुप मां कालरात्रि की आराधना कर रहे।
ऐसी मान्यता है कि काशी का यह अद्भुत व इकलौता मंदिर है जहां भगवान शंकर से रुष्ट होकर माता पार्वती आईं और उन्होंने सैकड़ों साल तक यहां कठोर तपस्या की थी। कालरात्रि माता की जो मन से पूजा अर्चना करता है, उसे मां के दिव्य स्वरूप में विकराल रौद्र रूप के साथ-साथ ममतामयी स्वरूप भी नजर आता है। भक्त जो भी मां से मांगते हैं, माता उसे पूर्ण करतीं हैं।
आज के दिन माता कालरात्रि के पूजन करने आए भक्त मां की चरणों में गुड़हल के पुष्प की माला, लाल चुनरी, नारियल, फल, मिष्ठान, सिंदूर, रोली, इत्र और द्रव्य अर्पित करते है। दर्शन के लिए कतारबद्ध भक्तों के हाथों में फूल-माला और नारियल दिखाई दिए। दर्शन करने आईं शीतल ने बताया कि नवरात्र के सातवें दिन माता कालरात्रि देवी का दर्शन पूजन किया जाता है। हमने मां से अपने सफल जीवन की कामना की है।
कालरात्रि देवी मंदिर के पुजारी राजीव ने बताया की आज नवरात्रि का सातवां दिन है। आज के दिन माता का पूजन किया जाता है। इन्हें दुर्गा का रूप माना जाता है। इनके दर्शन से सुख समृद्धि एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। इनके दर्शन मात्र से पेट सम्बन्धी बीमारी से निजात मिलता है।