बाबा की भक्ति में शिवमय काशी : भोलेनाथ के दर पर उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, 45 घंटे तक जागकर भक्तों को दर्शन देंगे औढरदानी
Varanasi : महाशिवरात्रि पर आज सुबह से ही शिवालयों में बम भोले के जयकारे गूंजना शुरू हो गए। शिवालयों में वैसे तो शुक्रवार से ही कांवड़िये भी कांवड़ चढ़ाने पहुंचना शुरू हो गए थे। वहीं आज जलाभिषेक का सिलसिला तड़के से शुरू हो गया। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी में जनसैलाब उमड़ पड़ा। एक दिन पहले ही बाबा दरबार में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचने लगे। शुभ मुहूर्त में आज बाबा भोले का विवाह संपन्न होगा। वहीं पंचकोशी परिक्रमा के लिए भी लाखों की भीड़ उमड़ी और हर हर महादेव की काशी की गलियां गूंज उठीं। भोर में मंगला आरती के बाद भक्तों के कपाट खुला तो पूरा धाम हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। बाबा के भक्तों ने बेलपत्र और जल के साथ बाबा का अभिषेक किया तो काशी विश्वनाथ परिसर आस्था से ओत प्रोत हो उठा। चारों दिशाओं में बोल बम और हर हर महादेव के नारों ने काशी को पूरी तरह से शिवमय कर दिया।

काशी में बाबा विश्वनाथ में मंगला आरती के बाद तड़के 3.30 बजे दर्शन शुरू हो गए। 9 बजे तक 3 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं। मंदिर के चारों के बाहर 3-4 किमी. लंबी लाइन लगी हुई है। मुख्य मंदिर के चारों गेट्स से भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा है। गंगा द्वार से लोगों को अंदर लाया जा रहा है। शिवरात्रि के महापर्व पर धाम भक्तों के लिए लगातार 45 घंटे तक खुला रहेगा। वहीं शिव की बारात में शामिल होने के लिए 6 लाख भक्त बिना किसी आमंत्रण के ही पहुंचे हैं। काशी विश्वनाथ धाम के अलावा कैथी के मार्कंडेय महादेव, शूलटंकेश्वर, तिलभांडेश्वर, ओंकालेश्वर, कर्मदेश्वर, BHU स्थित विश्वनाथ मंदिर आदि शिवालयों में भी महाशिवरात्रि पर भक्तों की लंबी लाइने हैं। मंदिर में भक्तों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। स्थानीय पुलिस के साथ ही केंद्रीय बलों ने भी मोर्चा संभाल रखा है। सीआरपीएफ, एनडीआरएफ, पीएसी के साथ मंदिर की निजी सिक्योरिटी निगरानी कर रही है। इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों की भी नजर है।

ये है मान्यता
महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को जो भक्त शिवजी का अभिषेक, व्रत और उपवास करता है उनसे प्रभु जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। महाशिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त से लेकर प्रात: 9:55 बजे तक का समय पूजा के लिए अति उत्तम है। शिवलिंग की पूजा से भगवान शिव सुख समृद्धि प्रदान करते हैं। शिवभक्त प्रत्येक चतुर्दशी का व्रत करते हैं लेकिन फाल्गुन कृष्णपक्ष चतुर्दशी को अर्द्धरात्रि में फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि। शिवलिङ्गतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ।। ईशान संहिता के इस वाक्य के अनुसार ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। ये व्रत सभी कर सकते हैं। इसे न करने से दोष लगता है। प्रो. पांडेय ने बताया कि महाशिवरात्रि का व्रत व्रतराज के नाम से विख्यात है। शिवरात्रि यमराज के शासन को मिटाने वाली है और शिवलोक को देने वाली है। इसके करने मात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है।
