नवरात्रि का छठवां दिन : मां कात्यायनी का दर्शन-पूजन कर धन्य हुए श्रद्धालु, मां की भक्ति से मिलती है रोग-शोक से मुक्ति
Varanasi : शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी की पूजा को समर्पित है। मां दुर्गा का यह छठा स्वरूप बहुत करुणामयी है। माना जाता है कि मां दुर्गा ने अपने भक्तों की तपस्या को सफल करने के लिए यह रूप धारण किया था। पौराणिक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने महर्षी कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
महर्षी कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही मां दुर्गा के इस रूप का नाम कात्यायनी रखा गया। इसके साथ ही आगे चलकर मां कात्यायनी ने दैत्य महिषासुर का वध किया तो उन्हें महिषासुर मर्दनी भी कहते हैं। वाराणसी में भी शनिवार को चौक स्थित माता कात्यायनी मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। भक्त देवी के दिव्य व भव्य चतुर्भुज स्वरूप के दर्शन कर निहाल हो गए।
हल्दी व दही का लेप करने से देवी प्रसन्न होती हैं और कुंवारी कन्याओं को योग्य वर का आशीर्वाद देती हैं। देवी कात्यायनी के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन सुबह से ही लग गई। लोगों ने विधिविधान से माता के दर्शन-पूजन किए। ऐसी मान्यता है कि कत नामक ऋषि की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर नवदुर्गा उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुईं।
अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्मी भगवती ने शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी तक ऋषि कात्यायन की पूजा ग्रहण की और दशमी के दिन महिषासुर का वध किया था। इनका स्वरूप अत्यन्त भव्य एवं दिव्य है। भगवती चार भुजाओं वाली हैं। एक हाथ वर मुद्रा दूसरा अभय मुद्रा में है।
तीसरे हाथ में कमल पुष्प और चौथे हाथ में खड्ग सुशोभित है। मां सिंहारूढ़ हैं। जो साधक मन, वचन व कर्म से मां की उपासना करते हैं उन्हें धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष प्रदान करती हैं।
कात्यायनी मंदिर के पुजारी घनश्याम दुबे ने बताया कि माता कात्यायनी से दर्शन-पूजन से सुख-समृद्धि व शांति मिलती है। माता को पीली वस्तुएं अति प्रिय हैं। जिन लड़के-लड़कियों की शादी में विघ्न आते हैं, वे माता को हल्दी-दही का लेप करें, पीला वस्त्र, पीला माला-फूल, पीला प्रसाद चढ़ाएं तो माता कुंवारी कन्याओं को योग्य वर प्रदान करती हैं।
मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से और विधिवत मां कात्यायनी का पूजन करता है उसके सभी रोग, दुख और भय दूर हो जाते हैं। साथ ही देवी की आराधना से सभी वैवाहिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।


