वेदमंत्रों से गूंजा श्रीकाशी कांची कामकोठी मठ : गणपति पूजन के साथ लोक कल्याणार्थ आयोजित काशी महोत्सव का शुभारंभ
Varanasi : धर्म की नगरी काशी में हनुमान घाट स्थित श्रीकाशी कांची कामकोठी मठ में गणपति पूजन के साथ सात दिवसीय काशी कांची महोत्सव की दिव्य शुरुआत हुई। यह महोत्सव 22 मार्च से प्रारंभ होकर 29 मार्च तक चलेगी। सप्तमोक्ष पुरियों में काशी कांची का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि काशी और कांची महेश्वर के दो नेत्र हैं।

कांची कामकोठी पीठम द्वारा संचालित देश के विभिन्न भागों के वेद विद्यार्थी इस महोत्सव कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। प्रतिवर्ष पूज्य शंकराचार्य श्रीशंकर विजयेंद्र सरस्वतीजी के आशीर्वाद और अनुग्रह से देश के विभिन्न धार्मिक क्षेत्रों में लोक कल्याण की कामना के साथ नव संवत्सर के पूर्व पक्ष में सभी जीव राशियों की मंगल कामना के लिए सप्ताह पर्यंत वैदिक अनुष्ठान और चतुर्वेद सर्व शाखा का पाठ किया जाता रहा है।
प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी काशी के गंगा तट भगवान विशेश्वर, मां अन्नपूर्णा, मां विशालाक्षी के कृपा से यह सप्ताह पर्यंत आयोजन काशी के पवित्र भूमि में किया जा रहा है जो प्रतिदिन काशी के नित्य दर्शनीय देवालयों में आयोजित होगा। मंगलवार को कार्यक्रम के आरंभ में गणपति पूजन के साथ-साथ लोक कल्याणार्थ संकल्प किया गया। मणिकर्णिका तीर्थ (चक्र पुस्करणी) पर जगत कल्याण पार्थना के साथ विभिन्न अनुष्ठानों के साथ स्नान-दान आदि का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से गौ दान, शास्त्र विधान द्वारा दशदान एवं पंचदान का कार्यक्रम संपन्न हुआ।



सायंकालीन सत्र में परम पूज्य कांची कामकोठी पीठाधीश्वर चंद्रशेखरेन सरस्वतीजी महाराज के 130 वें जयंती के अवसर पर नौका विहार (जिसको जलोत्सव कहा जाता है) का आयोजन हुआ।
इसमें विशेष रूप से कांची से पधारे महास्वामी विद्यापीठ के आचार्यगण और सम्पूर्ण वेदाध्ययन कर चुके छात्रों का दल शामिल हुआ। कार्यक्रम में संयोजक वी.एस. सुब्रमण्यम मणि, केदार शास्री महादेव घनपाठी, शिव कुमार शास्त्री, शेखर द्रविड़, चंद्रशेखर भारद्वाज, विश्वनाथन विशेष रूप से उपस्थित थे।
बुधवार के कार्यक्रम में प्रातः 8 से 11.30 बजे तक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण में 108 वैदिक ब्राह्मणों और छात्रों द्वारा महारुद्र का जप और अभिषेक का कार्यक्रम संपन्न हुआ। सायंकाल में 4 से 6 बजे तक वसंतोत्सव का कार्यक्रम दशाश्वमेध घाट पर संपन्न हुआ।