पांच लाख के इनामी ‘बमबाज मुर्गी’ की कहानी : इस तरह ISI के लिए काम करने वाले टाडा के संपर्क में आया, 15 साल की उम्र में छोटी चोरियां करता था, पहली दफा गेम टीचर को मारा
Uttar Pradesh : अंडरवर्ल्ड की दुनिया में वो गुड्डू ‘बमबाज’ है जो बंदूक से निशाना नहीं लगाता झोले में बम लेकर फेंकता है। उमेश पाल की हत्या में इस कुख्यात अपराधी ने बेखौफ होकर बम फेंका था। इसी घटना में एक पुलिसकर्मी की भी जान गई थी। वो बेरहम है, जब बम फेंकता है तो इंसानियत भूल जाता है। उसका सरदार अतीक अब मिट्टी में मिल चुका है। उधर, यूपी पुलिस की एसटीएफ गुड्डू बमबाज की तलाश कर रही है। पूर्वांचल के इस शातिर बदमाश के बमबाज बनने की कहानी भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। जानिए।

शनिवार यानी 15 अप्रैल को यूपी के प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। ये हमला तब किया गया जब दोनों भाइयों को मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया जा रहा था। हमले के वक्त अतीक और अशरफ के आस-पास न सिर्फ पुलिस मौजूद थी बल्कि वह मीडियाकर्मियों से भी घिरा हुआ था। गोली चलने के कुछ सेकेंड पहले ही अतीक और अशरफ ने मीडिया से बात की थी और अशरफ ने कैमरे पर गुड्डू मुस्लिम का नाम लेते हुए उसके बारे में कुछ कहना शुरू ही किया था कि सामने से गोली चली और दोनों की हत्या कर दी गई। ऐसा माना जा रहा है कि गुड्डू मुस्लिम के पास बड़े राज हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है। एसटीएफ को रिमांड के दौरान मिली जानकारी के अनुसार गुड्डू मुस्लिम अतीक अहमद का खास शूटर था और वही उसका सारा नेटवर्क संभालता था।

‘बमबाज’ के नाम से जाना जाता है गुड्डू मुस्लिम
गुड्डू मुस्लिम वो नाम है जिसे अशरफ अहमद गोली चलने से तुरंत पहले ले रहा था। गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने वाले एक्सपर्ट के नाम से भी जाना जाता है। उसके बारे में ये भी मशहूर है कि उसने यूपी के कई बड़े-बड़े माफिया गिरोहों के लिए काम किया है। गुड्डू अतीक अहमद के साथ भी काम कर चुका है।
शुरुआत में छोटी-मोटी चोरियां करता था
गुड्डू मुस्लिम के बारे में कहा जाता है कि उसने अपराध की दुनिया में कदम महज 15 साल की उम्र में ही रख दिया था। वह शुरुआत में छोटी-मोटी चोरियां करता रहता था लेकिन कुछ समय बाद बाहुबलियों के साथ जुड़ता गया और बम बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे गुड्डू इन गिरोहों के बीच इतना मशहूर हो गया कि राज्य में होने वाले किसी भी बड़े आपराधिक मामले में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी जुड़ने लगा।

दो दशक तक बड़े माफियाओं के लिए काम किया
एक रिपोर्ट के अनुसार, गुड्डू मुस्लिम ने कई बड़े माफियाओं के लिए दो दशक तक काम किया है। इन माफियाओं में प्रकाश शुक्ला, मुख्तार अंसारी सहित अन्य के नाम भी शामिल है।
कैसा रहा बचपन
प्रयागराज में जन्में गुड्डू मुस्लिम का नाम बचपन से ही छोटे-मोटे अपराध में लिया जाने लगा था। आगे चलकर उसने अपराध को ही अपना व्यवसाय बना लिया। वह स्कूल में लूट और रंगदारी जैसे काम करने लगा था। धीरे-धीरे गुड्डू मुस्लिम की बढ़ती बदमाशी से परेशान घरवालों ने आगे की पढ़ाई करने के लिए उसे लखनऊ भेजा दिया। हालांकि, यहां भी वह रुका नहीं। अब छोटे-मोटे अपराध करने वाले गुड्डू की मुलाकात पूर्वांचल के दो बाहुबलियों से हुई। ये दोनों ही लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे।

गेम टीचर की हत्या
खबरों के अनुसार, गुड्डू मुस्लिम सबसे पहली बार खबरों में तब आया जब उसने अपने लखनऊ के मशहूर लामार्टिनियर स्कूल के गेम टीचर फेड्रिक जे गोम्स की हत्या कर दी। वह साल था 1997। हत्या के मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई और जेल भेज दिया गया। इस हत्या में गुड्डू के साथ राजा भार्गव और एक अन्य पर भी आरोप था। खबरों की मानें तो इस मर्डर को गुड्डू ने कबूल तो कर लिया था लेकिन कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका और कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया।

कैसे पड़ा गुड्डू का नाम ‘बमबाज’
24 फरवरी 2023 को गुड्डू मुस्लिम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होने लगा। दरअसल, उमेश पाल हत्याकांड के बाद वह एक वीडियो में नजर आया जहां वह जमकर बमबाजी कर रहा है। वीडियो क्लिप में गुड्डू मुस्लिम अरमान बिहारी के साथ बाइक पर नजर आ रहा था। वह बाइक से उतरता है और अपने बैग से देसी बम निकालकर फेंकने लगता है।

पांच लाख का इनाम
गुड्डू मुस्लिम पर आरोप है कि उमेश पाल हत्याकांड में असद अहमद के साथ वह भी शामिल था। वह उमेश पाल की हत्या के बाद से ही फरार चल रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उमेश पाल के हत्याकांड के बाद गुड्डू मुस्लिम पर 5 लाख का इनाम भी घोषित किया है।
बिहार के माफिया के लिए काम कर चुका है गुड्डू
54 साल का गुड्डू मुस्लिम न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार के माफियाओं के साथ भी काम कर चुका है। यही कारण है कि उसे फरार होने में मदद मिलती रही। उमेश पाल हत्याकांड के प्लानिंग के दौरान अतीक के बेटे असद ने अपने सभी सहयोगियों का कोड नेम बनाया था। जिसमें गुड्डू मुस्लिम को मुर्गी का नाम दिया गया था। इस कोडनेम को देने की वजह ये कि उसके परिवार का चकिया में चिकन का काम है।वहीं असद और गुलाम के एनकाउंटर के बाद एसटीएफ ने मुर्गी को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस बीच कई खबर सामने आई थी कि एसटीएफ ने लगभग गुड्डू को पकड़ ही लिया है लेकिन इस खबर की पुष्टि नहीं हो पाई।

श्रीप्रकाश शुक्ला को मानता था गुरु
एक समय पर गुड्डू की मुलाकात अपराध की दुनिया के सबसे खूंखार और यूपी के सबसे चर्चित माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला से हुई। धीरे-धीरे गुड्डू उनका सबसे करीबी हो गया और उसे अपना गुरु मानने लगा।श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद वह गोरखपुर के माफिया परवेज टाडा के संपर्क में आया। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वाला परवेज टाडा यहां जाली नोटों की तस्करी के लिए जाना जाता था। वहां गुड्डू परवेज के लिए बम बनाने लगा और परवेज ने ही उसकी मुलाकात बिहार के चर्चित माफिया उदयभान सिंह से करवाई। इसके बाद वह यूपी से बिहार पहुंचकर उदयभान सिंह के साथ काम करने लगा।

अतीक अहमद का खास बना गुड्डू
साल 2001 तक गुड्डू अपराध की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा हो गया था। उसपर कई मुकदमे भी दर्ज थे और पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। इसी क्रम में गोरखपुर पुलिस ने उसे पटना से गिरफ्तार किया। ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त अतीक अहमद ने ही उसे जेल से बेल दिलवाई थी।उसके बाद से ही गुड्डू अतीक अहमद का दाहिना हाथ बन गया था। गुड्डू ने अतीक के लिए सालों तक काम किया। वह पूर्व सांसद अतीक अहमद के इशारे पर कई बड़े-बड़े अपराध को अंजाम देने लगा और अकेले गैंग को भी संभालने लगा। साल 2005 में बहुजन समाजवादी पार्टी के विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी। इस हत्याकांड में भी अतीक अहमद सहित गुड्डू मुस्लिम का नाम सामने आया था।

अतीक अहमद पर थे 100 से ज्यादा मुकदमे
15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या कर दी गई। अहमद और अशरफ की हत्या ने एक बार फिर यूपी पुलिस और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। इस राज्य में पहले भी पुलिस कस्टडी में हत्या को लेकर सवाल उठ चुके हैं और कई बार विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा भी है। लेकिन अतीक अहमद के खिलाफ भी कई मामले चल रहे थे। हत्या से पहले उसे साबरमती जेल में रखा गया था और उनके खिलाफ एमपीएमएलए कोर्ट में 50 से ज्यादा मामलों पर सुनवाई चल रही थी। ये सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाती थी। अतीक उन नेताओं में शामिल है जिसने अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में अपनी जगह बनाई थी। यूपी की राजनीति में भी अतीक की छवि बाहुबली नेता की ही रही थी और अपने बाहुबली अंदाज के कारण वह कई बार सुर्ख़ियों में रहा था।अतीक अहमद पर 100 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के अनुसार पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद के खिलाफ साल 1996 से अब तक 50 मुकदमे विचाराधीन थे। इसके अलावा वह बहुजन समाज पार्टी विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त था। इस मामले में अबतक सीबीआई जांच कर रही है। 28 मार्च 2022 को प्रयागराज की एमपीएमएलए कोर्ट ने उसे साल 2006 किए गए उमेश पाल का अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया था और उम्र कैद की सजा भी सुनाई थी।

कब, कहां और कैसे की गई अतीक अहमद की हत्या
15 अप्रैल 2023 को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ से पूछताछ करने के बाद यूपी पुलिस उसे कॉन्विन अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जा रही थी। यह अस्पताल इलाहाबाद हाईकोर्ट से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर था, वहीं दूसरी तरफ जिस जगह पर गोली चलाई गई वहां से प्रयागराज एसएसपी का आवास भी मात्र 6 किमी दूरी पर है। गोली चलने से पहले अतीक और अशरफ हथकड़ी में था और वह पत्रकारों से घिरे हुए था। पत्रकार अतीक से सवाल पूछ रहे थे। इसी बीच हमलावरों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। उसने लगातार 9 राउंड फायरिंग की और जबतक पुलिस उसे पकड़ने की कोशिश करते तबतक इन दोनों की मौत हो चुकी थी।