पौराणिक कुंड में नहाने भर से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है : पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी कुंड में डुबकी लगाई
Varanasi : अक्षय तृतीया पर साल में एक बार माता मणिकर्णिका की मूर्ती के दर्शन मणिकर्णिका कुंड पर होते हैं। अक्षय तृतीया की रात माता के विग्रह के कुंड पर पहुंचने के बाद से ही पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू हो गया था। अक्षय तृतीया के दूसरे दिन मणिकर्णिका कुंड में स्नान करने के लिए आस्थावानों का रेला उमड़ा। विधि-विधान से माता की पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी कुंड में डुबकी लगाई। माता से सभी कष्ट हरने की प्रार्थना की। इस कुंड में आज के दिन स्नान करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
बुधवार को श्रद्धालु मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी कुंड में स्नान करने को आतुर दिखाई दिए। इस स्नान के महत्व के बारे में मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी कुंड के प्रधान पुरोहित जंगनाथ दुबे बब्बू महराज ने बताया कि साल भर माता मणिकर्णिका की मूर्ती उनके निवास स्थान पर रहती है। साल में सिर्फ दो दिन माता अपने भक्तों को इस मणिकर्णिका कुंड में दर्शन देती हैं।









बब्बू महाराज ने बताया कि अक्षय तृतीया पर माता के विग्रह को यहां कुंड पर लाया जाता है। रात भर श्रद्धालु माता का दर्शन करते हैं। अगले दिन सुबह कुंड में स्नान करते हैं। मणिकर्णिका कुंड में स्नान करने वाले ज्ञानेश्वर सोनू कपूर ने बताया कि उनकी कई पीढ़ियां यहां हर वर्ष आती रही हैं। पिछले कई वर्षों से वो आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह कुंड अनादिकाल से बना हुआ है। यहां स्नान मात्र से सभी कष्टों, दुखों और बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है।

एक अन्य श्रद्धालु छाया यादव ने बताया उनके जीवन में कई कष्ट हैं। बिमारी से उबर नहीं पा रही हैं इसलिए बेटे के कहने पर आज इस कुंड पर स्नान करने के लिए आयी हैं।