Breathe Eeasy में TB के मरीजों को मिलेगा नि:शुल्क OPD की सुविधा : बोले डॉ. एस के पाठक – TB के इलाज में न बरते लापरवाही
Varanasi : ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, अस्सी द्वारा “विश्व TB दिवस” पर एक कांफ्रेंस आयोजित की गई। वरिष्ट TB, श्वास एवं एलर्जी रोग विशेषज्ञ डॉ. एस के पाठक ने बताया कि ‘हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं!’ का उद्देश्य TB महामारी से निपटने के लिए आशा को प्रेरित करना और उच्च-स्तरीय नेतृत्व, निवेश में वृद्धि, डब्ल्यूएचओ की नई सिफारिशों को तेजी से अपनाना, नवाचारों को अपनाना, त्वरित कार्रवाई और बहुक्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना है। “TB अब लाइलाज बीमारी नहीं है, इसका पूरा इलाज संभव है। इस इलाज में 6 से 7 माह का समय लगता है, और टी.बी की बिमारी पूर्णत: ठीक हो सकती है।

डॉ. पाठक ने बताया कि “टी.बी के लक्षणों में दो हफ्तों से ज्यादा खासी आना शाम के समय प्राय: बुख़ार का आना, कफ़ में खून व बलगम का आना, लगातार वजन का घटना आदि मुख्यत: होते हैं I डॉ. पाठक ने आगे बताया कि एम,डी.आर टी.बी, टी.बी का ही एक खतरनाक रूप होता है जिसमे टी.बी के कीटाणु पर टी.बी कि नार्मल (FIRST LINE) दवाइयां असर नही करती, ऐसे मरीजो के कफ की पूरी जाँच पड़ताल करके (कल्चर सेंसिविटी) के द्वारा सही दवा (SECOND LINE) की दवा शुरू की जाती है जिसका कोर्स लगभग 2 वर्ष तक चलता है। डॉ. पाठक ने ये भी बताया कि टीबी का इलाज छोड़ देने से मरीज को और खतरनाक परिणाम हो सकते है, जिसमें बहु औषधि टीबी, और बड़े पैमाने पर दवा प्रतिरोधी टीबी के रुप में बीमारी सामने आ सकती है।“

डॉ. पाठक ने आगे बताया कि “अपने देश में टी.बी. के रोगियों की संख्या काफी अधिक है, वर्ष 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में 1 करोड़ लोग टी.बी. से संक्रमित थे, जिनमें से लगभग 26.90 लाख टी.बी. के मरीज भारत से थे, इस प्रकार हम देखते हैं कि पूरे विश्व में टी.बी. मामलों के एक चौथाई केस भारत में हैं। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 3.7 लाख लोग टी.बी के कारण मौत के शिकार हो जाते है, प्रतिदिन 1000 से ज्यादा लोगों की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है, प्रति 1.5 मिनट में टी.बी के एक मरीज की मृत्यु हो जाती है, इस बीमारी के प्रति लापरवाही बरतने से खतरनाक टी.बी का जन्म हो सकता है, जिसे एम डी आर टी.बी कहते है, जिसका इलाज काफी खर्चीला और लगभग 2 साल तक चलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण से पहले 2018 में ही इसकी गंभीरता को समझते हुए 2025 तक देश से टी.बी. उन्मूलन का लक्ष्य बनाया है।”
डॉ. पाठक ने आगे बताया की “WHO द्वारा इस बार का थीम हैं – हाँ ! हम टीबी को खत्म कर सकते है। अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम. ‘ स्टाप टीबी पार्टनरशिप’ का भी विश्व स्तर पर कार्यक्रम किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य टीबी महामारी से निपटने के लिए आशा को प्रेरित करना और उच्च-स्तरीय नेतृत्व, निवेश में वृद्धि, WHO की नई सिफारिशों को तेजी से अपनाना, त्वरित कार्रवाई और बहुक्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना है। टी.बी. को 2025 तक समाप्त करने की कोशिशों के तहत राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम ने बेहद महत्वपूर्ण बदलाव किए जिनमें सफलता भी मिली है, भारत सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय टी.बी. संक्रमित लोगों की मदद करने वाली नीतियों को बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है, इसका एक उदाहरण निक्षय पोषण योजना है। इस योजना के तहत टी.बी. संक्रमित को इलाज के दौरान हर महीने पोषण संबंधी सहायता दी जाती है।”
डॉ. पाठक ने ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण को विस्तार पूर्वक समझाते हुए बताया कि यदि आपको ये लक्षण हैं तो तुरंत टी.बी रोग विशेषज्ञ से संपर्क करे, जिसमे तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना, सांस फूलना, सांस लेने में तकलीफ होना, शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना, सीने में तेज दर्द होना, अचानक से वजन का घटना, भूख में कमी आना और बलगम के साथ खून आना हैं। टी.बी के बचाव के लिए मुख्यत: जिन बातो को ध्यान में रखना चाहिए वो हैं अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपनी दवा ठीक समय व पूरी अवधि तक लेनी चाहिए, इधर-उधर न थूके, सफाई का विशेष ध्यान देवे, टी.बी रोगी जब भी छिके, अपने रुमाल से मुहँ अवश्य ढके, हमेशा हवादार व साफ़ सुथरी जगह पर रहे। टी.बी के मरीजों में नियमित भोजन जिसमे प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन हों, जैसे हरी सब्जियां, दुघ, अंडा आदि का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता हैं।”
डॉ. पाठक ने आगे बताया कि – “ब्रेथ ईजी द्वारा प्रत्येक शुक्रवार को प्रात: 9 से अपराहन 12 बजे तक नि:शुल्क ओ.पी.डी की सुविधा मरीजों को दी जाती हैं। ब्रेथ ईजी जन जागरूकता के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता रहता हैं जिसमे नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर, क्लिनिक, जन जागरूकता रैली, मोबाइल कैंप प्रमुख हैं।