सिपाही बोला- अकेले नहीं खा जाता, ‘साहब’ को भी देना था हिस्सा : साढ़े चार लाख रुपये घूस लेते निगरानी ब्यूरो ने पकड़ा, गिरफ्तारी करने वाली टीम ने कहा- हमारे पास पर्याप्त सबूत
Ajit Mishra
Bihar : एक सिपाही को निगरानी ब्यूरो के
अधिकारियों ने घूस लेते रंगे हांथों पकड़ा है। सिपाही के पकड़े जाने के बाद घूसखोरी के रुपये में हिस्सेदारों के संबंध में भी गिरफ्तारी करने वाली टीम को जानकारी हुई है।
बताते हैं कि साढ़े चार लाख रुपये के घूस केस में एक डीएसपी का भी नाम सामने आ रहा है। गुरुवार की रात निगरानी ब्यूरो की टीम ने साढ़े चार लाख रुपये रिश्वत लेते हुए पटना पुलिस के सिपाही दीपक कुमार सिंह को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। निगरानी कोर्ट में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया गया। जेल जाते जाते सिपाही ने एक बड़ा खुलासा कर दिया। निगरानी टीम की पूछताछ में सिपाही ने कहा है कि घूस के साढ़े चार लाख रुपये वह अकेले नहीं डकारने वाला था बल्कि उसके और भी हिस्सेदार हैं। कहा, रिश्वत के रुपये ले जाने के बाद उसका सभी हिस्सेदारों के बीच बंटवारा होता।
निगरानी से जुड़े सूत्रों की मानें तो जेल जाने से पहले हुई पूछताछ में सिपाही ने डीएसपी सहित दो लोगों का नाम लिया है। इसमें एक डीएसपी हैं और दूसरा कोई अन्य शख्स है। जैसे ही पूछताछ के दौरान उसने खुलासा किया, वहां मौजूद निगरानी टीम के अधिकारियों के होश उड़ गए।
सूत्र का दावा है कि सिपाही ने जिस डीएसपी का नाम लिया है उनकी पहचान हो गयी है। उनकी पोस्टिंग पटना पुलिस में ही है। जैसे ही सिपाही ने उनका नाम लिया, उसके बाद एक टीम सत्यापन में जुट गई। निगरानी टीम का दावा है कि इस रिश्वत कांड में उनके पास पुख्ता सबूत है। अब डीएसपी की भूमिका की जांच की जाएगी।

सिपाही की बताई हुई बातें कितनी सही है, उसकी पड़ताल की जा रही है। उस दौरान ठोस सबूत मिले और सिपाही की बातें सही साबित हुईं तो वो लोग भी निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्रवाई की जद में आएंगे। ज्ञात हो कि पटना पुलिस के जिस सिपाही को साढ़े चार लाख घुस लेते गिरफ्तार किया गया वह 35 लाख के बिल भुगतान के लिए मांगे गए आठ लाख रुपये में से थे।
बताते हैं कि इस रिश्वतकांड का कनेक्शन गर्दनीबाग के चकविंदा के रहने वाले अमरजीत कुमार से है। इनकी क्लासिक ट्रेवेल नाम की एक एजेंसी है। जो पटना पुलिस को गाड़ी उपलब्ध कराती है। इनकी एजेंसी का 35 लाख रुपये का बिल बकाया था। सिपाही दीपक पटना पुलिस के परिवहन शाखा में मुंशी है। दीपक इनके बिल को पास होने देने में बाधा डाल रहा था।
आरोप है कि अमरजीत से उनकी कंपनी का बिल पास करने के नाम पर मुंशी ने आठ लाख रुपये की घूस मांगी थी। इसके बाद ही साढ़े चार लाख रुपये की पहली किस्त पहुंचाई गई थी।जानकारी मिलने के बाद निगरानी ब्यूरो ने अपना जाल बिछाया और घूसखोर सिपाही को पकड़ लिया।