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Top Story : आज अपने हीं घर में बेगाने हो गये हैं वृद्ध लक्ष्मण प्रसाद

बहु की प्रताड़ना से परेशान पति-पत्नी रेलवे स्टेशनों पर रात गुजारने को मजबूर,भूख प्यास से बुरा हाल

Ajit Mishra

SASARAM : माँ-बाप पूरी जिंदगी बच्चों की परवरिश इस उम्मीद से करते हैं कि बेटा बड़ा होकर अच्छी नौकरी करेगा,घर में एक संस्कारी बहु आएगी और बड़े आराम से हमदोनों के बुढ़ापे की जीवन नैया पार लग जायेगी। लेकिन बदलते सामाजिक परिवेश में ऐसा सोचना सबके लिए सही नहीं है।कुछ माँ-बाप बुढ़ापे में जब शरीर कमजोर होता है बहुओं द्वारा प्रताड़ना के भी शिकार होते रहते हैं।देशभर से ऐसी घटनाएं लगातार पढ़ने को मिल रही हैं।लेकिन बुढ़ापे में जब पैसा कमाने की शक्ति नहीं रहती और शरीर पुरी तरह आशक्त हो जाता है तब जिससे पुरी जिंदगी उम्मीद थी वह भी अपना क्रूर चेहरा दिखाने लगता है उस समय बुढ़े माँ-बाप अंदर से टूट जाते हैं और भगवान से जल्दी ऊपर बुलाने की प्रार्थना करने लगते हैं।

इस समाचार से हमारा इरादा पाठकों का मन बहलाने का नहीं है बल्कि वर्तमान की कड़वी सच्चाई से सबको अवगत कराना है।रोहतास जिले के नासरीगंज थाने के एक छोटे से कस्बे अमिआउर में रहने वाले लक्ष्मण प्रसाद शर्मा जिनकी उम्र 70 साल से अधिक है आज बहु की प्रताड़ना की वजह से दर-दर भटकने को मजबूर हैं।उनकी सबसे अधिक पीड़ा यह है कि वह अपनी बूढ़ी पत्नी जो अक्सर बीमार रहती है उसे लेकर अपने हीं मकान में नहीं रह सकते।यह बताते हुए वे फफक कर रोने लगते हैं कूछ देर तक। मुँह से कोई आवाज नहीं आती फिर अपने को संभालते हुए कहते हैं कि बहु भी तो बेटी हीं होती है किस मुँह से मैं उसको बददुआ दूँ लेकिन मैं यही कहना चाहता हूँ कि जो मेरे साथ हो रहा है भगवान दुश्मनों को भी यह दिन न दिखाये।कहते हैं कि बहु हमसबों को हमेशा फँसाने की धमकी देती है।कभी भी खुशी मन से खाना नहीं देती है अपनी बीमार बूढ़ी माँ समान सास को बराबर पीटती है।उसका पति और मेरा एकमात्र पुत्र जब उसको रोकता है तो वह उस पर भी हमला कर देती है और जो सामान सामने दिखता है वह उस पर चलाने लगती है।इतना सब करने के बाद भी वह चुप नहीं बैठती बल्कि तुरन्त थाने जाकर भी रोने गाने लगती है जिससे कि सबलोग उसी को परेशान समझने लगती हैं।बताते हैं कुछ दिनों पूर्व बहु ने कहा कि अब मैं तुम लोगों को यहाँ रहने नहीं दूंगी और उसने मुझे भी बहुत मारा।जिसके कारण हम लोगों को अपना हीं घर छोड़कर भागना पड़ा।उस दिन से कभी रेलवे प्लेटफॉर्म तो कभी किसी रिश्तेदार के यहां घूम घूमकर दिन बिताना पड़ रहा है।मैं चलने फिरने में भी असमर्थ महसूस करता हूँ।दुखी मन से लक्ष्मण जी बताते हैं कि जीवन के इस विकट परिस्थिति में मेरी बहु शारीरिक रूप से मुझे बहुत प्रताड़ित कर रही है।अपने हीं घर में कैसे जाऊं जहां खाना खाने को नहीं मिलता है और हमेशा कोई न कोई आरोप लगाकर हम पति पत्नी की पिटाई भी होती है। बताते हैं कि बेटा प्राइवेट नौकरी करता था जो बहु के दिन रात कीच कीच और कलह के कारण छूट गया।लड़का भी डिप्रेशन का शिकार हो गया है उसे भी डिप्रेशन की कई कई दवाइयां खानी पड़ती है।

लक्ष्मण शर्मा कहते हैं कि जब समाज और प्रशासन में कहीं भी हमारी बात नहीं सुनी गयी तो मजबूर होकर हमने पत्र के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति, गृहमंत्री,मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल,मुख्यमंत्री अबको अपने हाल की सूचना दे दिए हैं।लड़के की शादी के बारे में बताते हुए वे भाउक हो जाते हैं कहते हैं मेरे पुत्र सुभाष प्रसाद की शादी 2004 में सिंदरी धनबाद झारखण्ड (अस्थायी पता)पूजा शर्मा नाम के लड़की से हुई है।शादी के बाद लगभग एक माह वह अच्छे से रही लेकिन इसके बाद से हीं उसका चरित्र सन्देहास्पद लगने लगा ।देर रात तक वह अपने फ़ोन पर अपरिचित लड़कों से बतियाने लगी।कुछ दिन बीतने पर अपरिचित लोग भी उससे मिलने घर आने लगे।पति के बोलने पर वह उससे झगड़ने लगी।बाद में बिना बताए कई कई दिन घर से बाहर भी रहने लगी।एक बार वह घर से अपने गहने और कपड़े लेकर बिना बताये मायके चली गयी और वहीं से दहेज प्रताड़ना का केस कर दिया।इसके बाद हमने पारिवारिक प्रतिष्ठा को देखते हुये बहु के हाँथ पैर जोड़कर घर लाये।

लेकिन घर आने के कुछ हीं दिन बाद से वह अपने पुराने चाल चलन में वापस लौट आयी। इस बार तो बहु के डर और यातना से हम लोगों को हींबघर छोड़कर भागना पड़ा कारण है कि इधर बीच उसने गाँव के दबंगो के साथ मिलकर स्थानीय थाने में कई धाराओं में केस भी करा दिया है।वह बराबर धमकी दे रही है कि मैं तुमलोगों को और तुम्हारे बेटे को कहीं का नहीं छोडूंगी पागल बना दूंगी।साथ हीं हमारे दामाद या बेटी कभी आकर उसे समझाने की कोशिश किये तो वह लोग भी उसके दुश्मन हो गए हैं।रो रोकर अपना हाल बताते हुए वृद्ध लक्ष्मण शर्मा कहते हैं कि अब तो रोज रोज की घटना कहकर कोई बीच बचाव भी करने नहीं आता।बहु प्रतिदिन नये- नये लड़कों को घर बुलाती है।यहाँ तक कि अपने हीं कमरे में उसके पति को भी जाने का अधिकार नहीं है।बहु बराबर मेरा एकमात्र पुत्र और अपने पति को गुंडों से मरवा देने की भी धमकी दे रही है।

अब तो लगता है कि बहु के कुकृत्यों और प्रताड़ना के कारण किसी दिन सड़क पर हीं हमलोगों की मौत हो जाएगी।मेरा बेटा घोर मानसिक अवसाद में जी रहा है।अब हमलोगों में थाना पुलिस और कोर्ट कचहरी दौड़ने की न तो साहस है और न ताकत है।आर्थिक रूप से भी हम बुरी तरह टूट चुके हैं।भविष्य को कल्पना में निहारती उनकी निश्तेज आँखें कुछ कहने की कोशिश करतीं हैं लेकिन वे गहरी चुप्पी साध लेते हैं कहते हैं जब अपना नहीं हुआ तो गैरों से क्या उम्मीद करें…।

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