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Varanasi : डा. दया शंकर त्रिपाठी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘पर्यावरण दिग्दर्शिका’’ का BHU Vice Chancellor ने किया लोकार्पण

Varanasi: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी प्रकाशन समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘पर्यावरण दिग्दर्शिका’’ का लोकार्पण केन्द्रीय कार्यालय में आज दिनांक 05 जून 2020 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कुलपति प्रो.राकेश भटनागर द्वारा किया गया। लोकार्पण करते हुए प्रो.भटनागर ने कहा कि आज मानव जीवन की निरन्तरता बनाये रखने के लिए संपोष्य पर्यावरण का बने रहना आवश्यक है। इसके लिए हमें पर्यावरण एवं मानव जाति के बीच बिगड़ते संबंधों को सुधारने की जरूरत है। कहा कि भूमि, जल, वायु, अग्नि एवं आकाश जीवन की संरचना के मौलिक तत्व हैं जो मानव जीवन को सजाती-सँवारती हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की यह पुस्तक केवल छात्रों के लिए ही नहीं, अपितु शिक्षकों एवं पर्यावरण के प्रति चिन्ता और रुचि रखने वाले लोगों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।

कार्यक्रम में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजय कुमार शुक्ल ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने सृष्टि के प्रारम्भ से पर्यावरण के साथ आत्मीय संबंध रखा था। क्योंकि उन्हें वायु, जल, जंगल और जमीन का जीवन के लिए महत्ता की पूरी जानकारी थी। आज हमारे ये जीवनीय तत्व संकट में पड़ गये हैं, इन्हें उबारने हेतु मिलकर पहल करने की जरूरत है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. नीरज त्रिपाठी ने कहा कि पर्यावरण जिसमें हम सभी निवास करते हैं, उसके संरक्षण के लिए सामूहिक सहयोग की आवश्यकता है। आज अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना समय की मांग बन गई है। हम अपनी प्राचीन पद्धतियों को अपनाकर पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं। कहा कि हमें पादप जैव-विविधता संरक्षण के साथ-साथ प्राणि जैव-विविधता को भी बचाने की आवश्यकता है। कहा कि हम सभी लोग सार्वजनिक स्थलों पर पशुओं हेतु जल की व्यवस्था तथा अपने छतों पर पक्षियों के लिए किसी बर्तन में पानी और कुछ अनाज जरूर रखें जिससे विलुप्त हो रहे पशु-पक्षियों को जीवनदान मिल सकें।

विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इस पुस्तक के लोकार्पण से इसकी प्रासंगिता बढ़ जाती है। कहा कि सरल और बोधगम्य भाषा में इस तकनीकी एवं जटिल विषय को प्रस्तुत करना स्वयं में एक कठिन प्रयास है। बताया की आज हम जैव-प्रौद्योगिकी के माध्यम से विलुप्त हो रही प्रजातियों का पुनरुद्धार करने में लगे हुए हैं।

पुस्तक की चर्चा करते हुए समिति के डीडीओ एवं संयुक्त कुलसचिव (सामान्य प्रशासन) डा. संजय कुमार ने कहा कि ‘‘पर्यावरण दिग्दर्शिका’’ समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तक श्रृंखला में 67वें स्थान पर है। यह पुस्तक भारत सरकार के वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुदान द्वारा प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक को स्नातक स्तर के विद्यार्थियों तथा पर्यावरण संरक्षण से जुड़े व्यक्तियों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। यह पुस्तक रंगीन आकर्षक आवरण सहित 243 पृष्ठों की है जिसमें अद्यतन जानकारियों को सारणी एवं चित्रों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है। बताया कि इस पुस्तक को लागत मूल्य पर उपलब्ध कराया जायेगा।

कुल चौदह अध्यायों में पर्यावरण के विभिन्न प्रभागों का वर्णन

पुस्तक के लेखक डा. दया शंकर त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तक के कुल चौदह अध्यायों में पर्यावरण के विभिन्न प्रभागों जल, जंगल, जमीन, ऊर्जा, संरक्षण, संवर्द्धन आदि का वर्णन किया गया है। पुस्तक में विशेषरूप से यजुर्वेद से उद्घृत शान्ति पाठ को भी एक पृष्ठ में संजोया गया है जिसमें हमारे प्रकृति के अवयवों की शान्ति हेतु प्रार्थना की गई है। कार्यक्रम में सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी डा0 राजेश सिंह भी उपस्थित रहे। लोकार्पण कार्यक्रम में सोसल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क, सेनेटाइजेशन एवं आरोग्य सेतु के उपयोग का अक्षरशः ध्यान रखा गया।

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