Varanasi : परदेस से घर लौटे लोगों की भविष्य संवारने की कवायद
JIVA TIWARI
Varanasi : प्रवासी कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने की कोशिश के तहत सामाजिक संस्था लोक समिति और आशा ट्रस्ट ने महत्वपूर्ण पहल की है। कोरोना संकट से प्रभावित कामगार परिचय अभियान के तहत संस्था द्वारा एक सर्वेक्षण प्रारंभ किया गया है। दूसरे राज्यों से लौट कर गांव आए श्रमिकों और कारीगरों के बारे में आंकड़ा जुटाया जा रहा है। सर्वे में यह निष्कर्ष आ रहा है कि कोरोना महामारी से बचने के लिए लागू लॉकडाउन के समय ज्यादातर प्रवासी मजदूर बाहर और घर वापसी के समय बहुत से कष्ट उठाऐ हैं, जिसे वे शब्दों में बयां नही कर पा रहे हैं। इसलिए अब रोजगार के लिये परदेस जाने की बजाय अपने गांव में ही अपनी योग्यता के आधार पर स्थाई रोजगार चाहते हैं।
परदेस रहने के कारण वे बहुत सी सरकारी योजनाओं जैसे राशन, पेंशन, आवास, मनरेगा आदि से वंचित हैं। वे सरकार से परिवार के भरण पोषण, सामाजिक सुरक्षा व रोजगार के लिये स्पेशल राहत पैकेज चाहते हैं। सर्वे में मजदूरों ने बताया कि वे घर तो किसी तरह आ गए हैं लेकिन यहां रोजगार न होने से वे बेरोजगार बैठे हैं। उन्हें बच्चों की पढ़ाई, परिवार का भरण पोषण और रोजगार की सबसे बड़ी चिंता सता रही है। जब तक उन्हें रोजगार नहीं मिल जाता तब तक के लिये वे सरकार से बेरोजगारी भत्ता चाहते हैं।
सर्वे में यह जानने की कोशिश की जा रही है कि उक्त कारीगर या श्रमिक किस विधा में कुशल हैं और किस तरह के काम करते रहे हैं। यह भी आंकड़ा लिया जा रहा है कि प्रवासी श्रमिकों को किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ा। अब आगे अपनी आजीविका के बारे में उनकी क्या सोच है, वे वापस उन राज्यों में काम के लिए जाना चाहेंगे अथवा नहीं एवं वर्तमान परिस्थितियों में सरकार से उनकी अपेक्षाएं क्या हैं।


इस बाबत लोक समिति के संयोजक नंदलाल मास्टर ने बताया कि हम इन आंकड़ों से यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि भविष्य में इन कामगारों को स्थानीय स्तर पर अधिकतम रोजगार के अवसर कैसे उपलब्ध कराये जा सकते हैं। किस प्रकार की कुशल अथवा अकुशल श्रम शक्ति विकास खंड स्तर पर उपलब्ध है। हम इन आंकड़ों के आधार पर बनी रिपोर्ट और सुझाव को सरकार और सम्बंधित जिले के रोजगार कार्यालय को देंगे। स्थानीय औद्योगिक इकाइयों एवं श्रमिको के बीच एक सेतु बन कर दोनों के लिए सहायक बनने की कोशिश करेंगे। इससे एक तरफ स्थानीय उद्योगों को कुशल अकुशल श्रमिक सुलभता से उपलब्ध होंगे वहीं दूसरी तरफ बिना दूसरे शहर की ओर वापस गये मजदूरों को स्थानीय स्तर पर आजीविका मिल पाएगी।
नंदलाल मास्टर ने बताया कि हम कृषि के साथ जुड़ कर होने वाले सहायक रोजगार के अवसर भी तलाशेंगे। सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बड़े किसानो और उद्यमियों से सम्पर्क करके उनसे प्रवासी श्रमिकों को साथ लेकर इकाई स्थापित करने का निवेदन करेंगे। लोक समिति व आशा ट्रस्ट के कार्यकर्ता नागेपुर, बेनीपुर, कल्लीपुर, गनेशपुर, कुण्डरिया, प्रतापपुर, चक्रपानपुर, गौर, नागेपुर, हरसोस, जंसा, असवारी, बीरभानपुर, अमीनी, अदमा, करधना, खालिसपुर, लालपुर सहित आराजीलाईन और सेवापुरी ब्लाक के करीब 40 से ज्यादा गांव से अब तक दूर दराज शहरों के लौटे करीब 1400 प्रवासी श्रमिक परिवार का सर्वे किया जा चुका है। सर्वे की टीम में श्यामसुंदर मास्टर, अमित, रामबचन, सीमा यादव, समाबानो, आशा, सुनील मास्टर, राजकुमारी, मनजीता, विद्या, पंचमुखी, मैनबबानो, प्रेमा, सीमा, बेबी, चंद्रकला सहित आशा सामाजिक विद्यालय के अध्यापक, लोक समिति के कार्यकर्ता और किशोरी सिलाई केंद्र की अध्यापिका लगी हैं।