Ground Report : हे Lockdown, तुम तो भगीरथ निकले!
दशकों बाद मोक्षदायिनी के वेग और रंग में अद्भुत बदलाव
स्वच्छता से निखरा गंगा का रूप, मछलियों की अठखेलियां
Surendra Tiwari
#Varanasi : गंगा की मनुहार, पीड़ा, अभिव्यक्ति को उनके हर नेमी और देश-विदेश में बैठे उनके प्रेमियों ने महसूस किया है। चाहते हुए भी वह कुछ नहीं कर पाये। जिस गंगा ने उन्हें किशोरवस्था में अपनी गोद में खिलाया, तैरना सिखाया। उम्र बढ़ने के साथ अपनी ठांव दी और हर पर्यावरणीय दर्द, जहर आंख बंदकर खुद में समाती रहीं। वह चाहे आस्था या परंपरा के नाम पर उनमें विसर्जित किया गया निर्माल्य हो, खुद के नाम पर समर्पित हर चीज को ग्रहण करना मोक्षदायिनी की फितरत रही है। सही मायने में संग्रही स्वभाव और धैर्य उनका गहना भी है। लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक अदृश्य और जानलेवा वायरस के कारण उन्हें नवजीवन मिलेगा। वह भी ऐसा कि हजारों करोड़ की योजनाओं, सरकार की वृहद मशक्कतों पर वह भारी पड़ेगा। लॉकडाउन! हां जी, सही मायने में देशव्यापी लॉकडाउन गंगा के लिये भगीरथ साबित हो गया।
हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में गंगा बहती है। गुम हुआ यह गीत फिर जुबां पर आ गया। दरअसल, इसे गुनगुनाने की वजह गंगा का वेग और रंग है। दशकों बाद यह रूप देखकर सभी दंग हैं। मछलियां अठखेलियां कर रही हैं और कल-कल बहते गंगाजल की ध्वनि तन-मन को प्रफुल्लित करने के साथ ऊर्जा दे रही है। एक उम्मीद भी जगी है। वह यह कि ऐसा रंग, अविरलता, स्वच्छता बनी रहेगी न? यह दीगर है कि इस सवाल का जवाब पर्यावरण और गंगा पर शोध कर रहे विज्ञानी ही बता सकते हैं, लेकिन एक बात समझने और समझाने के लिये काफी है कि आदतों, अपने परंपरा से पहले गंगा के बारे में सोच लिया जाय तो मोक्षदायिनी इसी तरह हमेशा खिलखिलाती रहेंगी।
प्रदूषण कारक कम होने से रंग हुआ साफ- प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी
गंगा विज्ञानी और कई शोध कर चुके प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने बताया कि लॉकडाउन का बहुत बड़ा असर गंगा के साथ पर्यावरण पर पड़ा है। अचानक लाखों लोगों ने गंगा में स्नान करना बंद कर दिया। सख्ती से कचरे, नाले का पानी गिरना बंद हो गया। मवेशियों का नहाना और कपड़ा धोने की आदतों पर कई दिन रोक लग गई। लगातार सख्ती का असर दिखना शुरू हुआ। निर्माल्य के नाम पर कचरा, फूल और अन्य सामग्री कई दिनों से गंगा में नहीं डाली गई। इसका असर है कि गंगा में प्रदूषण कम हो गया। एक बात लॉकडाउन ने लोगों के साथ पूरे देश को समझा दी कि थोड़ा संयम और धैर्य से कार्य किया जाय तो हर चीज को बेहतर किया जा सकता है। देखने और समझने वाली बात है कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से गंगा के अविरलता, वेग के लिये लाखों प्रयास किये गये और हजारों करोड़ खर्च किये गये, लेकिन वर्तमान की स्थिति जो गंगा की है वह कभी नहीं दिखी। कुल मिलाकर यह अच्छा संकेत है और भविष्य के प्रति उम्मीद भी देता है। कहा कि वैकल्पिक रास्ते तलाश लिये जायं, आदत सुधार ली जाय और तय कर लिया जाय तो गंगा का यह रूप बना रहेगा। बताया कि हर दिन गंगा में भारी मात्रा में क्रोमियत रूपी जहर बहाया जाता है। चिकित्सालयों, अन्य स्थानों से काफी गंदगी आती रहती है। इस समय ज्यादातर स्थान बंद हैं और सब कुछ रूका है। इसका असर देखने को मिल रहा है।