Education Varanasi 

Webinar : “भारतीय संगीत की परम्परा व रचना” शीर्षक पर आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का समापन

Varanasi : वसंत महिला महाविद्यालय में संगीत गायन विभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के अंतिम दिन बुधवार को भारतीय संगीत की परंपराएं और रचनाएं नामक शीर्षक पर व्याखयान हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ बिलंबिता बानीसुधा ने किया था। अंतिम दिन के विशेषज्ञ डॉ राम शंकर थे जिन्होंने “पंडित रामाश्रय झा के बंदिशों में सौंदर्य तत्वों का विश्लेषण” विषय पर अपना प्रयोगात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान की शुरुआत करते हुए डॉ राम शंकर ने पंडित रामाश्रय झा के बारे में कई रोचक बातें बताई जिससे उनके सरल स्वभाव का पता चलता है। इसी चर्चा में उन्होंने बताया की पंडित रामाश्रय राम भक्त थे तथा उन्होंने रामचरितमानस के संपूर्ण सातों कांडो को काव्य बध्द कर के शास्त्रीय संगीत के विशुद्ध रागों में उन बंदीशो को अनिबध्द किया था।

पहली रचना जो उन्होंने सुनाई वह राग “जौनपुरी” में थी तथा उसके बोल थे “बार-बार विनती करत”। इसी बीच डॉ राम शंकर ने संगीत में साधना का महत्व बताया। एक और रचना उन्होंने सुनाई जो कि राग “अहिर भैरव” मे थी तथा उसके बोल थे “देहु विचार बामन”। रचनाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने रस का महत्व भी समझाया। एक और रचना उन्होंने सुनायी जो कि राग “हमीर” में थी तथा जिसके बोल थे “तू कौन कहां से आई”। इसके साथ-साथ उन्होंने और कई बातों से श्रोताओं को अवगत कराया जो बहुत प्रेरक था। अंत में सबको धन्यवाद कहते हुए अपने व्याख्यान को समाप्त किया। श्रोताओं ने भी कई सवाल पूछे तथा कुछ और बंदिशें गाने के लिए अनुरोध किया। अंतिम विभागाध्यक्ष डॉ बिलंबिता बानीसुधा ने पांचो दिनों में हुई चीजो के बारे में फिर से थोड़ा-थोड़ा बताया तथा डॉ रामशंकर जी का आभार प्रकट करते हुए सभी श्रोता गणों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

You cannot copy content of this page