Webinar : Covid-19 ने चिंतन के प्रत्येक आयाम को चुनौती दी है- Prof. Annapurna Nautiyal
Varanasi : वसंत महिला महाविद्यालय राजघाट के अर्थशास्त्र विभाग और शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में 17 मई से 23 मई तक सात दिवसीय सामजिक विज्ञान में शोध प्राविधि विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल (कुलपति- हेमवतीनंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर,गढ़वाल) थीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में सामाजिक विज्ञान में शोध प्राविधि की दिशा चुनौतिपूर्ण हो गयी है क्योंकि कोविड 19 ने चिंतन के प्रत्येक आयाम को चुनौति दी है। यह पुनर्निर्माण के नए सृजन का समय है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें सबसे पहले संकट को समझना होगा और साहस से काम लेना होगा।
कहा, कोविड-19 ने सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक, शैक्षिक तथा व्यक्तिगत स्तर पर चुनौती दिया है। नवप्रवर्तन के माध्यम से इस संकट से निपटा जा सकता है। हमें अपनी दृष्टि को नयापन देना होगा। स्त्री पुरुष के द्वंद्व से निकल जेंडर फ्री विचार को विकसित करने की आवश्यकता है। समस्या के चयन से लेकर उसकी पहचान करनी होगी, सही सूचना के साथ आलोचनात्मक परीक्षण वर्तमान सन्दर्भ में शोध प्राविधि की आवश्यकता है।

काम करना सिखाया
कहा, क्यों, कहां और कैसे शोध का मूल भाव है। संभव है यह समय हमें शोध के नए मानदंड स्थापित करने के बेहतर विकल्प दे। कोविड-19 ने हमें आभासी दुनिया के माध्यम से कार्य करना सिखाया है इसलिए पहली आवश्यकता तकनीक के साथ हमें सहज और सरल होने की आवश्यकता है। यह समय नए विचारों के जन्म लेने का है।कूटनीतिक बदलाव, रणनीतिक सोच, नए परिप्रेक्ष्य में वैश्विक बदलाव, नए प्रकार के वैश्विक युद्ध को हम इस संकट के समय देख सकते हैं। 1918 में हुए महामारी के बरक्स इस वैश्विक महामारी के तुलनात्मक अध्ययन के माध्यम से नयी व्याख्या को देखा जा सकता है।
यह समय नए सिद्धान्तों के सृजन का है
बताया, यह समय नए सिद्धान्तों के सृजन का है। लेकिन निश्चित रूप से निष्कर्ष के रूप में प्रतिफलन का आना वास्तविक शोध की पहचान है। इसलिए बेहतरीन शोध प्रविधि का इस्तेमाल कर हम दर्शन, चिंतन के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रतिफलन दे कर देश और समाज का हितसाधन कर सकते हैं।
Covid-19 ने विश्व की गति को धीमा किया
प्राचार्या प्रोफेसर अलका सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि कोविड-19 ने विश्व की गति को धीमा जरूर किया है, लेकिन चिंतन, शोध के नए आयाम तीव्रता से बढ़ रहे हैं और विश्व पुनर्निर्माण की ओर अग्रसर है। शोध प्राविधि की यह कार्यशाला निश्चित रूप से नयी संकल्पनाओं के द्वार खोलेगी। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. विभा जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया और विषय स्थापन करते हुए कहा कि इस संक्रमण से उपजे लॉकडाउन ने सामाजिक परिप्रेक्ष्य की दिशा में अनेक चुनौतियां दी हैं। सामाजिक विज्ञानियों का यह दायित्व है कि शोध की दिशा में आगे बढे और इसलिए शोध प्राविधि विषयक कार्यशाला का आयोजन समय की आवश्यकता है। उन्होंने देश के विभिन्न भागों के सौ से अधिक प्रतिभागियों को अपने विचार को वेविनार के पटल पर रखने हेतु आमंत्रित किया।
गणपति वंदना से हुई सुरुआत
डॉ. मिनाक्षी विश्वाल ,एसोसिएट प्रोफेसर शिक्षा विभाग ने गणपति वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डॉ. आशा पांडेय ने तकनीकी सत्रों का संचालन करते हुए वेबिनार के प्रतिभागियों तथा सहयोगियों को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर महाविद्यालय के अनेकानेक शिक्षक ऑनलाइन जुड़े रहे। आभासी माध्यम वर्तमान संकट में अध्ययन अध्यापन का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। इस रूप में यह कार्यशाला भी अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है।