Webinar : ऑनलाइन कार्यशाला में प्रो. शशि कुमार ने कर्नाटक संगीत पर दीया व्याख्यान
Varanasi : वसंत महिला महाविद्यालय में संगीत गायन विभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के चौथे दिन का संचालन डॉ बिलंबिता बानीसुधा ने किया। चौथे दिन के विशेषज्ञ प्रोफेसर शशि कुमार थे। उन्होंने “कर्नाटक संगीत में त्रिमूर्ति की संगीत रचनाएं” विषय पर अपना प्रयोगात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया। व्याख्यान की शुरुआत करते हुए उन्होंने त्रिमूर्तियों के बारे में बताया जिनके नाम त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षितर और श्यामा शास्त्री। कृति को समझाते हुए उन्होंने बताया की हिंदुस्तानी संगीत में जैसे ख्याल होता है वैसे ही कर्नाटक संगीत में कृति होती है। श्यामा शास्त्री के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी ज्यादातर कृतियां तेलुगु भाषा में होती है और उनकी लिखी हुई कुछ कृतियां सुनाई।
जिसमें से पहली कृति राग “शंकराभरणम” में थी जिसके बोल थे “सरोज दल नेत्री” और दूसरी कृति राग “कल्याणी” में थी जिसके बोल थे “हिमाद्री सुते पाहिमाम”। त्यागराज के बारे में अवगत कराते हुए उन्होंने बताया कि उनकी ज्यादातर रचनाएं श्री राम से जुड़ी हुई होती है और कुछ उनकी कृतियां सुनाई। जिसमें से पहली कृति राग “मायामालवगॉड” में थी जिसके बोल थे “तुलसी दलमुलचे संत”, दूसरी कृति राग “हंसध्वनी” मे थी जिसके बोल थे “रघु नायक”, और तीसरी कृति राग “शुभपंतुवरली” मे थी जिसके बोल थे “शंभू महादेव शरणागत”। आगे बढ़ते हुए उन्होंने मुथुस्वामी दीक्षितार के बारे में बताया की उनकी ज्यादातर रचनाओ की लय “विलंबित” तथा भाषा “संस्कृत” हुआ करती है और कुछ कृतियां सुनाई जिसमें से पहली कृति राग हंस ध्वनि जिसके बोल थे “वथापी गणपतिम भजे”, दूसरी कृति राग “आरभी” मे थी जिसके बोल थे “श्री सरस्वती नमोस्तुते” और तीसरी कृति राग “मध्यमावती” मे थी जिसके बोल थे “धर्म संवर्धिनी”।
इसके साथ-साथ उन्होंने और भी कई बातें बहुत ही आसान शब्दों में बताई और श्रोताओं के कई प्रश्नों के उत्तर भी दिए। अंत में विभागाध्यक्ष डॉ बिलंबिता बानीसुधा ने मुख्य वक्ता का आभार प्रकट करते हुए श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा कल के व्याख्यान में उपस्थित रहने के लिए निवेदन किया।
