Education Varanasi 

Webinar : वृद्धावस्था समस्या नहीं, हर समस्या के समाधान वाली अवस्था – डॉ. आंचल शारदा

Varanasi : वसंत महिला महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग और भारतीय काउंसलिंग साइकोलॉजी एसोसिएशन के संयुक्त प्रयास से आयोजित सात दिवसीय अंतराष्ट्रीय वेब कार्यशाला के छठवें दिन मंगलवार को मुख्य वक्ता डॉ आंचल शारदा (नैदानिक मनोवैज्ञानिक, डबलिन, आयरलैंड) ने “वृद्धों के लिए परामर्शन” विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि Getting older is Getting better” विकासात्मक दृष्टि से वृद्धावस्था शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं में हाथ की अवधि है। इस अवस्था में शारीरिक निर्बलता, हड्डियों का कमजोर होना, तथा इनका सरलता पूर्वक टूट- जाना, दृष्टि कमजोर होना, स्मृति हास एवं हृदय आघात जैसी कुछ कुछ सामान्य सी देखी जाने वाली समस्याएं हैं जो वृद्धावस्था में दिखाई देती हैं। इतने सारे परिवर्तन वृद्धों में एक साथ दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति में वृद्धों के लिए परामर्शन अति आवश्यक है। वृद्धों के परामर्शन में सबसे बड़ी एक समस्या यह आती है कि वृद्ध व्यक्ति जल्दी परामर्श के तैयार नहीं होता है, वह यह सोचते हैं कि अगर मैंने परामर्श लिया तो लोग मुझे मानसिक रोगी समझेंगे। ऐसी स्थिति में परामर्शक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। परामर्शक को यह ध्यान रखना चाहिए कि हर व्यक्ति की अपनी एक विशेषता होती है और परामर्शक को कभी भी पहले से ही अपना मानसिक विन्यास यह सोचकर नहीं बनाना चाहिए। हर वृद्ध व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर है ऐसा विचार पहले से ही रखने से परामर्श की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।

डॉ शारदा ने यह भी कहा वृद्धावस्था में जीवन साथी का बिछड़ना एक बड़ा हास होता है। वृद्धावस्था में यदि व्यक्ति किसी नौकरी पेशा में है और वह रिटायर हो जाता है तो उसमें सामाजिक निष्क्रियता होती है। कभी-कभी उसे भिन्न घातक बीमारियां भी हो जाती हैं। जिसके कारण वह अवसाद में आ जाता है। ऐसी स्थिति में कुछ वृद्ध उसके साथ समायोजन स्थापित कर लेते हैं लेकिन कुछ वृद्ध ऐसा नहीं कर पाते हैं, जो ऐसा नहीं कर पाते हैं उनके लिए परामर्श एक अच्छा विकल्प है। उनके जीवन में होने वाले परिवर्तनों के बारे में उन्हें स्पष्ट करता है, और उन्हें आगे जीवन जीने के लिए सामंजस्य स्थापित करने के लिए प्रेरित करता है। यह भी कहा कि वृद्धों के परामर्श में उनकी पहचान तथा आत्म सम्मान दोनों का ही ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से वृद्ध व्यक्ति परामर्शन में रुचि लेता है और अपनी समस्याओं को परामर्शक से साझा करता है। जिससे परामर्श की प्रक्रिया में सुविधा मिलती है।

अंत में कहा कि वृद्ध हमारे समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। “Getting older is Getting better” उन्होंने ने यह भी कहा कि वास्तव में “वृद्धावस्था समस्या नहीं है, बल्कि यह, हर समस्या का समाधान वाली अवस्था है। इसलिए वृद्धावस्था को चुनौती के रूप में नहीं बल्कि जीवन शैली में परिवर्तन करके आगे बढ़ना है।।इस कार्यशाला के सह संयोजक डॉ सुभाष मीणा (असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग) ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया और उनका संक्षिप्त परिचय देकर उन्हें उनके विषय “वृद्धों के लिए परामर्शन के लिए आमंत्रित किया। वेब कार्यशाला के सह संयोजक- डॉ वेद प्रकाश रावत (असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग) ने कार्यशाला की शुरुआत करते हुए दोनों मध्यस्थता कर रही शिल्पी जायसवाल तथा रोजी शांडिल्य का परिचय सबसे कराया तथा इस कार्यशाला के सहसंयोजक को मुख्य वक्ता का स्वागत करने के लिए आमंत्रित किया, तथा मुख्य वक्ता और तथा सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।।संयोजिका डॉ सीमा श्रीवास्तव, आयोजन सचिव डॉ ऋचा सिंह, आयोजन समिति- आकांक्षी श्रीवास्तव, प्रगति सिंह, शिल्पी जयसवाल, पाखी मिशेल, कृष्णा व्यास, विराली प्रकाश, मौसम प्रकाश, विभा रुंगटा तथा डॉ विभा रानी इत्यादि ने इस सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब कार्यशाला के तकनीकी पक्ष का संचालन किया।

You cannot copy content of this page