Webinar : वसंत महिला महाविद्यालय में ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन
Varanasi : वसंत महिला महाविद्यालय में तीन विभागों द्वारा ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें जारी विषयक पर विशेषज्ञ अपनी-अपनी व्याख्यान दे रहे। उसी क्रम को जारी रखते हुए दर्शन विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में वक्ता प्रोफेसर आर पी सिंह (जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी,नई दिल्ली) तथा द्वितीय सत्र में वक्ता प्रोफेसर नीलांजन भौमिक (दर्शन विभाग,नई दिल्ली) थे प्रथम वक्ता ने ए. जे. एयर की पुस्तक लैंग्वेज ट्रुथ एंड लॉजिक का संदर्भगत और अवधारणात्मक विवेचन किया। लॉजिकल पॉजिटिविज्म में पॉजिटिविज्म शब्द की विवेचना करने के साथ ही साथ उन्होंने एयर के सत्यापन सिद्धांत के 2 सूत्रों “प्रैक्टिकल वेरीफाइबिलिटी” और “वेरीफाइबिलिटी इन प्रिंसिपल” का सविस्तार विवेचन किया। इस ऑनलाइन कार्यशाला में डेढ़ सौ से अधिक प्रतिभागी निरंतर जुड़े रहे और इस व्याख्यान का लाभ उठाया।
दूसरी क्रम में महाविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग द्वारा दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी वेब कॉन्फ्रेस शनिवार से आयोजित हुआ। जिसमें “नाटकीय आदान प्रदान: प्रदर्शनों मे प्रयोग” नामक विषय पर हो रहा है। उद्घाटन सत्र का संचालन परास्नातक की छात्राओं हर्षा रोय व प्राची चौहान ने किया। प्राचार्या प्रोफ़ेसर अलका सिंह ने अतिथियो का स्वागत व विषय की स्थापना रखी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नाटक हमारे जीवन का अभिन्न अंग है और यह हमें शांति, स्थिरता देता है और हमें सहिष्णु बनाता है। मुख्य अतिथि का परिचय डा. सुनीता आर्या ने दिया। मुख्य अतिथि के रूप में श्री जतिंदर वर्मा (नाटक निर्देशक एवं सह संस्थापक तारा थियेटर, लंदन, यूनाइटेड किंगडम) ने ‘यूनाइटेड किंगडम मे प्रवासियों का नाटक’ नामक विषय पर अपनी बात रखी। धन्यवाद ज्ञापन डा. मंजरी शुक्ला ने किया। तदुपरांत पेनल डिसक़सन हुआ जिसमें मृणालिनी. पर्णाश्री, प्रज्ञा, वर्तिका, आशीष व प्राची आदि छात्राओं ने भाग लिया। अपने उद्बोधन मे डा. सौरभ सिह ने कहा की नाटक और साहित्यक विधाओं से अलग इसलिए है की इसने क़र्म की प्रधानता होतीं है और ज़िंदगी धार्मिक, आर्थिक, मानसिक व शरारिक व अन्य करमों के सिवाय कुछ नहीं। इस कार्यक्रम में डा. मंजरी झुनझुनवाला, डा. रचना पाण्डेय, प्रियंका चक्रवर्ती के अलावा ६५ प्रतिभागियों ने भाग लिया।
तीसरे क्रम में महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग तथा भारतीय काउंसलिंग साइकोलॉजी एसोसिएशन के संयुक्त प्रयास से आयोजित ऑनलाइन कार्यशाला के तीसरे दिन सत्र का प्रारंभ सह संयोजक डॉ सुभाष मीणा ने दोनों मध्यस्थता कर रही आकांक्षी श्रीवास्तव तथा पाखी मिशेल का परिचय कराते हुए आयोजन सचिव, डॉ ऋचा सिंह को आमंत्रित किया। ऋचा ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर धनंजय कुमार एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और तृतीय दिन के मुख्य वक्ता का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनको “परामर्श में नैतिकता”* विषय पर वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया। वक्ता ने विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि नैतिकता से तात्पर्य उस नियमावली से है, जिसके तहत परामर्शन में विशेषज्ञ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। इस नियम के तहत ही उन्हें सामाजिक संबंधों की विवेचना का अधिकार दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय वेब कार्यशाला में देश विदेश के लगभग 2,000 विभिन्न प्रतिभागियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया। 390 प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दी। इस कार्यशाला को लगभग 1700 प्रतिभागियों ने भारतीय काउंसलिंग साइकोलॉजी एसोसिएशन एसोसिएशन के फेसबुक पेज पर लाइव देखा और उपलब्ध चैट बॉक्स की सहायता से अपने प्रश्न विशेषज्ञों तक पहुंचाएं और अपनी जिज्ञासा शांत की।आयोजन सचिव ने मुख्य वक्ता, संयोजिका, सह संयोजक, आयोजन समिति इत्यादि सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। संयोजिका डॉ सीमा श्रीवास्तव तथा सह संयोजक- डॉ वेद प्रकाश रावत, डॉ सुभाष मीणा, आयोजन समिति- आकांक्षी श्रीवास्तव, रोजी शांडिल्य, प्रगति सिंह, शिल्पी जयसवाल, कोमल ज्ञानचंदानी, पाखी मिशेल, कृष्णा व्यास, विराली प्रकाश, मौसम प्रकाश, विभा रुंगटा तथा डॉ विभा रानी इत्यादि है।



