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छात्रों के भविष्य का कौन होगा खेवनहार: BHU के हिंदी विभाग में शोध छात्रों का दूसरे दिन भी धरना जारी, PhD एडमिशन निरस्त होने की आशंका पर आक्रोशित है छात्र

Varanasi : महामना की बगिया के हिंदी विभाग में पांच छात्रों को निकाले जाने और छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के आरोप के साथ शोध छात्रों का परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। इसके अलावा छात्राओं ने प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाकर्मियों पर अभद्रता का आरोप लगाया है। छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन पर तथ्यों को छुपाने और गुमराह करने का आरोप लगा रहे हैं। धरना-प्रदर्शन के दौरान छात्रों और सुरक्षाकर्मियों में जमकर नोकझोंक भी हुई। इस दौरान एक छात्र बेहोश हो गया, जिस कारण मौके पर कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गई। बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

छात्रों ने बताया कि जुलाई सत्र में हुई पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में 73 शोधार्थियों को चयनित किया गया था जिसमें से 20 अभ्यार्थी RET एंट्रेंस के माध्यम से चयनित किये गए। अब जबकि पिछले छह महीने से उनकी कक्षाएं सुचारू रूप से चल रही हैं ऐसे में अचानक से परीक्षा नियंत्रक कार्यालय द्वारा मौखिक रूप से पांच छात्रों के निष्कासन की सूचना दी गयी है, जिसके बाद सभी शोधार्थियों के एडमिशन पर तलवार लटकती नज़र आ रही है। जहाँ एक ओर छात्रों की डीआरसी नहीं हुई है, तो वहीं दूसरी तरफ पाँच छात्रों के निष्कासन की खबर उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं है। छात्रों का कहना है कि अब छह माह बाद फाइनल आंसर की जारी करना परीक्षा नियंत्रक को संदेह के घेरे में लाता है, ऐसे में निष्काषित विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य की जिम्मेदारी कौन लेगा ? उनका कहना है कि उनके सभी 73 लोगों की डीआरसी जल्द से जल्द हो। छात्रों ने कहा कि हम धरने पर तब तक बैठे रहेंगे जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो पाएंगी।

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