खुद को व्यस्त दिखाने वाले लोग: ‘अति व्यस्त’ नामक प्रजाति का अनोखा जीव, दिखावे से हकीकत इतर
व्यंग्य
इस दुनिया में एक ऐसी भी प्रजाति है, जो हमेशा खुद को बेहद व्यस्त दिखाने में लगी रहती है। इन्हें हम ‘अति व्यस्त’ प्रजाति के नाम से जानते हैं। इनके हाथ में मोबाइल, कान में ईयरफोन और माथे पर चिंताओं की गहरी लकीरें साफ देखी जा सकती हैं, जो हर समय यह जताने का प्रयास करती हैं कि इनसे ज्यादा व्यस्त कोई नहीं है।
इन महानुभावों से जब भी बात करने की कोशिश कीजिए, जवाब मिलेगा, “यार, अभी बहुत बिजी हूं, बाद में बात करता हूं।” जबकि हकीकत में ये ‘बाद में’ का मतलब कभी नहीं होता। इनके ‘कॉल मी बैक’ का मतलब ‘डोंट कॉल मी एवर’ होता है। अगर आप कभी इनके साथ बैठ गए, तो ये फोन पर ऐसे घुसे रहेंगे जैसे कोई बहुत जरूरी काम कर रहे हों, लेकिन हकीकत में व्हाट्सएप के मीम्स और फेसबुक के ‘लाइक’ पर उंगलियां चला रही होती हैं।
ऐसे लोग हर मीटिंग में लेट पहुंचते हैं, और फिर आते ही ऐसा बखेड़ा खड़ा करते हैं कि पूरी दुनिया इन्हीं के इर्द-गिर्द घूम रही हो। “अरे भाई, क्या बताऊं, आज तो इतनी मीटिंग्स हो गईं कि सांस लेने की फुर्सत नहीं मिली।” इस लाइन के बाद उनके चेहरे पर जो थकान का नाटक दिखता है, उसे देख ऑस्कर अवॉर्ड वाले भी हैरान हो जाएं।
इनकी खासियत यह है कि अगर आप इन्हें किसी मदद के लिए कहें, तो ये तुरंत अपनी ‘बिजीनेस’ की गहरी खाई में कूद जाते हैं। “अरे यार, दिल तो है मदद करने का, लेकिन क्या करूं, इतना काम है कि समय ही नहीं मिल पा रहा।” और आप मन ही मन सोचते रह जाते हैं कि काश आप भी इतने ‘बिजी’ होते।
अति व्यस्त प्रजाति के लोग कभी आराम नहीं करते। ऐसा नहीं है कि वे वास्तव में व्यस्त हैं, बल्कि यह उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा है- खुद को व्यस्त दिखाना। इनका मानना है कि अगर वे व्यस्त दिखेंगे, तो समाज उन्हें ज्यादा महत्वपूर्ण मानेगा। और यही सोचकर ये लोग अपनी जिंदगी का बहुमूल्य समय ‘बिजी’ होने के नाटक में खर्च कर देते हैं।
आखिर में इनसे सिर्फ इतना कहना है- “अरे भाई, थोड़ी फुर्सत निकालो, जिंदगी सिर्फ व्यस्त दिखने के लिए नहीं है। असली व्यस्तता वो है, जिसमें आप खुद को बेहतर बना रहे हो, न कि दूसरों को बस ये यकीन दिलाने में लगे हो कि आप बहुत व्यस्त हैं।”