बड़ी बोल सबसे अलग 

इंस्टाग्राम वीडियो क्रिएटर्स: अजीबोगरीब हरकतें करते हुए पाए जाते हैं, हर जगह लोकेशन और हर पल…

व्यंग्य आजकल सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम वीडियो क्रिएटर्स की तादाद तेजी से बढ़ रही है, जिनका मुख्य ध्येय अब लोगों को मनोरंजन के नाम पर “कंटेंट” परोसना रह गया है। सड़कों, पार्कों और घरों के कोनों में मोबाइल फोन लेकर अजीबोगरीब हरकतें करते हुए ये लोग नजर आते हैं, मानो जिंदगी का एकमात्र लक्ष्य वीडियो में हाथ घुमाना, डायलॉग मारना, और कुछ ‘ट्रेंड’ फॉलो करना हो। एक वीडियो क्रिएटर ने कहा, “अरे भई, अब तो हर सुबह उठते ही यही सोचते हैं कि आज कौन सा ‘चैलेंज’ या ‘ट्रेंड’ फॉलो…

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पर्दे के पीछे के खिलाड़ी: ऐसे अज्ञात नायक जो बिना क्रेडिट के सामने वाले को चमका देते हैं

व्यंग्य कहते हैं कि हर बड़ा आदमी तभी बड़ा होता है, जब उसके पीछे कोई पर्दे के पीछे का खिलाड़ी हो। वैसे पर्दे के पीछे का खिलाड़ी सिर्फ राजनीति या खेल तक सीमित नहीं है। घर से लेकर ऑफिस तक हर जगह ये अज्ञात नायक होते हैं, जो बिना किसी क्रेडिट के अपने हुनर से सामने वाले को चमका देते हैं। हमारे मोहल्ले में भी एक पर्दे के पीछे का खिलाड़ी है, नाम है- छोड़िए नाम में क्या रखा है। वैसे तो लगता है कि ये अज्ञात नायक छोटे-मोटे काम…

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देर रात तक जागने वालों का हाल: उजाले में उल्लू, रात में रॉकेट, कहीं किसी दिन ऐसा न हो जाए!

व्यंग्य कहते हैं कि दिन में सोने और रात में जागने वाले लोग खास होते हैं। और क्यों न हों, आखिर जो लोग पूरी दुनिया को सोते हुए देख सकते हैं, वे साधारण कैसे हो सकते हैं! ये वो महान आत्माएं हैं, जो रात के अंधेरे में अपने लिविंग रूम को युद्ध क्षेत्र बनाकर किसी चाय के प्याले के साथ दुनिया को जीतने की रणनीति बनाते हैं- हालांकि सुबह होते-होते सारी रणनीति भूल जाते हैं। जब बाकी लोग अपने तकिए पर सिर रखकर खर्राटों की जुगलबंदी में मशगूल होते हैं,…

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मोबाइल से चिपके रहने वालों की कथा: इनमें से आपसे कौन वाला टकराया, बिल्कुल यही होता है या कुछ अलग?

व्यंग्य परिचय- मोबाइल फोन, यह नन्हा जादुई यंत्र, जिसने हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। आजकल के लोग मोबाइल के बिना ऐसे हैं जैसे बिना आलू के समोसा। चलिए, एक मजेदार नजर डालते हैं उन लोगों पर, जो मोबाइल के साथ चिपके रहने में पूरी तरह से माहिर हैं। दृश्य 1: सुबह की शुरुआत सुबह होती है और सबसे पहले एक व्यक्ति उठता है। आलसी आंखें खोलते हुए, वह बिस्तर से उठने के बजाय अपने मोबाइल को खोजता है। “कहां है मेरा मोबाइल? आज तो सुबह की…

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राफेल & सुई: दोनों के बीच का ‘महान’ अंतर’, बहुत बारीकी से समझिएगा

व्यंग्य कभी सोचा है कि मामूली सी सुई और घातक राफेल लड़ाकू विमान के बीच क्या समानताएं हो सकती हैं? क्लियर है, कुछ भी नहीं। लेकिन आइए, हम थोड़ा मजाकिया अंदाज में इन दोनों के बीच का ‘महान’ अंतर खोजते हैं। सुई: कपड़ों की डॉक्टर सुई, जिसे हम घर की ‘मल्टी-टास्किंग मशीन’ भी कह सकते हैं, मम्मी की सुपरपावर होती है। यह कपड़ों के फटे घाव सिलने में माहिर है। सुई दिखने में भले ही पतली और मासूम लगती हो, लेकिन इसकी चुभन… उफ़्फ़। इतनी खतरनाक कि किसी के भी…

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गधा & इंसान: गधा बोला- मैं हमेशा तैयार रहता हूं, कहीं तुम इंसान भी गधा बनने की कोशिश में तो नहीं हो?

व्यंग्य जब बात समझदारी और काम करने की आती है, तो कई बार गधे की तुलना इंसानों से की जाती है। लेकिन क्या गधा खुद को इंसानों से कम समझदार मानता है? आइए, समझते हैं गधे और इंसान के बीच की मजेदार बातचीत। गधा: (गहरी सांस लेते हुए) देखो, इंसान! मुझे तुमसे एक शिकायत है। क्यों बार-बार मेरी तुलना तुमसे करते हो? मैं भी कोई साधारण प्राणी नहीं हूं। इंसान: (हंसते हुए) अरे भाई, तुम्हें तो आलसी और बेवकूफ समझते हैं, इसीलिए। गधा: (गुस्से में) आलसी? क्या तुम जानते हो,…

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तेल लगाने के फायदे: एक ऐसी विधा जिसमें कायदे नहीं ओन्ली फायदे, & फायदे, और फायदे

व्यंग्य तेल लगाने का महत्व सिर्फ सिर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर हिस्से में व्याप्त है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप समय-समय पर तेल न लगाएं तो आपके बाल, नौकरी और रिश्ते तीनों ही सही रास्ते पर चल सकते हैं। और तो और, तेल लगाने की प्राचीन परंपरा हमें यह सिखाती है कि बालों के साथ-साथ, लोगों के दिलों और दिमाग पर भी तेल लगाना कितना जरूरी है। हमारे मोहल्ले के शर्मा जी को ही ले लीजिए। जब तक शर्मा जी अपने बॉस…

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बड़ी बोल सेहतमंद व्यंजन 

मक्खन से फिसलती जिंदगी की हकीकत: हवा में जीने वाले लोग न पढ़ें, मन चोटिल होने के आसार

व्यंग्य आजकल बटरिंग, या जिसे आम भाषा में मक्खन लगाना कहते हैं, एक ऐसा कला-कौशल बन चुका है, जो इंसान को वहां पहुंचा देता है जहां सीधा-सच्चा इंसान सपने में भी नहीं सोच सकता। यह कला अगर सही से साध ली जाए तो आपको प्रमोशन, तारीफें, और बॉस की नजरों में VIP दर्जा, सब कुछ मुफ्त में मिल सकता है। अब देखिए, बटरिंग करने वालों का क्या कमाल होता है। बॉस को सिर्फ एक हल्की-सी कॉफी चाहिए होती है, लेकिन बटरिंग मास्टर को लगा देंगे कि वो कॉफी नहीं, अमृत…

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काम का दबाव और हमारे जज्बात: बिना दबाव लिए पढ़िए, जिंदगी की रेस में दौड़ते रहिए

व्यंग्य आजकल के ऑफिस का माहौल ऐसा हो गया है कि अगर कोई दिन बिना काम के दबाव के बीत जाए, तो लगता है कि शायद कुछ गड़बड़ है। फिलहाल मेरे एक साथी का किस्सा, उन्हीं की शब्दों में- एक दिन सुबह-सुबह ऑफिस पहुंचा और देखा कि बॉस की शक्ल कुछ ज्यादा ही चमक रही है। मैंने सोचा, “आज कुछ खास काम होगा,” लेकिन बॉस ने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, आज आप पर कोई काम का दबाव नहीं है।” मैंने आश्चर्य से सोचा, “क्या यह वही बॉस है जो बिना…

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ट्रैफिक का महायुद्ध: एक तरफ गाड़ियों का महासागर, दूसरी तरफ पैदल चलते लोगों की सेना, और हम रणनीतिकार

व्यंग्य जिंदगी में चुनौतियां तो ऐसे आती हैं, जैसे शादी में रिश्तेदार- बिन बुलाए, बिन सोचे। सुबह-सुबह उठते ही सबसे पहली चुनौती होती है अलार्म के साथ। वो तो मानो एक युद्ध का शंखनाद हो। अलार्म बजता है और हम उसे बंद करने के लिए ऐसा हाथ बढ़ाते हैं, जैसे यज्ञ में अग्नि समर्पित कर रहे हों। फिर जब आंखें खोलते हैं तो अगले पलों में एहसास होता है कि ऑफिस के लिए लेट हो रहे हैं, और अब सब कुछ ‘फास्ट फॉरवर्ड मोड’ में चलना होगा। चाय बनानी हो…

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