उत्तर प्रदेश दिल्ली धर्म-कर्म पूर्वांचल वाराणसी सबसे अलग 

नवरात्र में कलश स्थापना के समय क्यों बोया जाता है जौ: जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

वाराणसी: नवरात्रि के पर्व में कलश स्थापना और घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। कलश स्थापना के साथ ही एक और महत्वपूर्ण परंपरा है जौ (जवारे) बोने की। हर साल नवरात्र के पहले दिन, जब कलश स्थापित किया जाता है, तो उसके साथ जौ भी बोए जाते हैं। यह धार्मिक परंपरा के साथ-साथ सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में जौ को उर्वरता, समृद्धि और जीवन का प्रतीक माना जाता है। जब नवरात्रि के दौरान जौ बोए जाते हैं, तो यह माता दुर्गा से जीवन में नई ऊर्जा, उर्वरता और समृद्धि की कामना करने का प्रतीक होता है। मान्यता है कि जौ की हरी-भरी पौध जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाने वाली होती है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के दौरान जौ बोने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और देवी माँ की कृपा बनी रहती है। जौ को प्राचीन काल से ही प्रथम अन्न माना गया है और इसका संबंध कृषि और प्रकृति की उर्वरता से जोड़ा जाता है। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से भरपूर जीवन के लिए जौ बोना शुभ माना जाता है।

कैसे की जाती है जौ की बुवाई?

कलश स्थापना के दिन शुभ मुहूर्त में एक साफ मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बोए जाते हैं। इसके लिए स्वच्छ मिट्टी का उपयोग किया जाता है और कलश स्थापना के साथ ही उसे जल से सींचा जाता है। मान्यता है कि जिस तरह जौ की पौध तेज़ी से बढ़ती है, उसी तरह घर में खुशहाली और उन्नति का प्रतीक भी जौ के अंकुर होते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान यह जौ धीरे-धीरे हरा-भरा हो जाता है, जो देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक दृष्टि से भी जौ बोने की परंपरा लाभकारी मानी जाती है। जौ के पौधों का वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल हवा को शुद्ध करता है, बल्कि इसके माध्यम से मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है। इसके अलावा, जब इन पौधों को जल दिया जाता है, तो यह पर्यावरण में नमी बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुद्धता का संचार करता है।

जौ के अंकुर का महत्त्व

नवरात्रि के दौरान बोए गए जौ के अंकुर जीवन में समृद्धि और सफलता के प्रतीक माने जाते हैं। परंपरा के अनुसार, जौ के बढ़ने की गति और उसकी ऊँचाई देखकर भविष्य की समृद्धि का आकलन किया जाता है। यदि जौ तेजी से और हरे-भरे उगते हैं, तो इसे शुभ संकेत माना जाता है, जो आने वाले समय में परिवार के लिए सुख-समृद्धि की ओर इशारा करता है।

परंपरा

नवरात्रि में कलश स्थापना के समय जौ बोने की परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह परंपरा देवी दुर्गा से जीवन में उर्वरता, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना का प्रतीक है। इसके साथ ही, यह पर्यावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखने का भी एक साधन है। जौ के अंकुर जीवन में उन्नति और सफलता के संकेत देते हैं और नवरात्रि के इस पावन पर्व पर देवी माँ की विशेष कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

Related posts