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व्रत में फलाहार: मानसिक संतुलन भी जरूरी, सबसे शुद्ध फलाहारी कौन?

वाराणसी: व्रत रखने के दौरान फलाहार का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में व्रत का पालन करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन भी स्थापित होता है। इस दौरान फलाहार के माध्यम से उपवास के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। लेकिन सवाल उठता है कि व्रत में सबसे शुद्ध फलाहारी किसे कहा जाता है?

1. कुटु (राजगिरी) आटा

व्रत के दौरान कुटु (राजगिरी) का आटा सबसे शुद्ध फलाहारी माना जाता है। यह आटा ऊर्जा का अच्छा स्रोत होता है और इसे विभिन्न प्रकार की रेसिपीज़ में इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि कुटु की पूरी, पकोड़े, या हलवा।

2. सिंघाड़े का आटा

सिंघाड़े का आटा भी एक अन्य शुद्ध फलाहारी सामग्री है, जो खासतौर पर व्रत के दौरान उपयोग की जाती है। यह पाचन के लिए लाभदायक होता है और इससे बने पकवान हल्के और सुपाच्य होते हैं।

3. फल

व्रत के दौरान फलों का सेवन करना भी महत्वपूर्ण होता है। फलों में से विशेष रूप से केले, सेब, संतरे, और अनार को सबसे शुद्ध फलाहारी माना जाता है। ये फल पोषण से भरपूर होते हैं और शरीर को ताजगी प्रदान करते हैं।

4. दूध और दही

दूध और दही भी व्रत में फलाहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। दूध में कैल्शियम और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, जबकि दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पाचन में सहायक होते हैं।

5. साबूदाना

साबूदाना को व्रत का मुख्य आहार माना जाता है। इसे बनाना आसान होता है और यह ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। साबूदाना खिचड़ी और साबूदाना वड़ा जैसे व्यंजन खासतौर पर व्रत के दौरान बनाए जाते हैं।

मानसिक शांति

व्रत के दौरान फलाहार का सेवन करना शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। कुटु आटा, सिंघाड़ा आटा, फल, दूध, दही, और साबूदाना जैसे खाद्य पदार्थ सबसे शुद्ध फलाहारी माने जाते हैं। इनका सेवन न केवल ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी बनाए रखता है। व्रत के दौरान सही सामग्री का चयन करके हम अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं और साथ ही धार्मिक आस्था का पालन भी कर सकते हैं।

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