दवा के बजाय दे रहे आश्वासन का डोज: राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में महीने भर से दवाओं का टोटा, मरीज परेशान
Omprakash Chaudhari
वाराणसी। चौकाघाट लकड़ी मंडी के पास स्थित राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में पिछले एक महीने से दवाओं की किल्लत बनी हुई है। यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को दवा के बजाय आश्वासन का डोज दिया जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन की ओर से लगातार आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। पूर्वांचल, बिहार और नेपाल से आने वाले मरीज यहां आयुर्वेदिक इलाज कराने आते हैं, लेकिन दवाओं की कमी के कारण उन्हें निराशा हाथ लग रही है।
मरीजों का दर्द
मिर्जापुर से इलाज के लिए आए रमेश यादव का कहना है, “हर बार कहा जाता है कि दवाएं जल्द मिलेंगी, लेकिन अब तक दवाओं का इंतजार ही कर रहे हैं। महीने भर से आ रहा हूं, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।” वहीं, गाजीपुर से आए दिनेश सिंह ने कहा, “दवाओं की कमी के कारण इलाज अधूरा रह रहा है। यहां दूर-दराज से लोग आते हैं, लेकिन दवाएं न मिलने से इलाज बाधित हो रहा है। हमें बार-बार दौड़ाया जा रहा है।”
अस्पताल प्रशासन का दावा अधूरा
15 दिन पहले अस्पताल के एसएमओ डॉ. अरविंद कुमार ने दावा किया था कि जल्द ही दवाएं उपलब्ध हो जाएंगी। उन्होंने कहा था, “टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, दवा कंपनियों का सैंक्शन भी हो गया है और इस हफ्ते के भीतर दवाएं आ जाएंगी।” बावजूद इसके, दवाओं की सप्लाई अब तक नहीं हो पाई है। डॉक्टर अरविंद के मुताबिक, “हमारे पास आने वाले मरीजों की संख्या अधिक है, लेकिन हम जल्द ही दवाओं की व्यवस्था कर रहे हैं।”
अस्पताल के मरीजों पर असर
इस अस्पताल में केवल वाराणसी ही नहीं, बल्कि पूर्वांचल के अन्य जिलों के अलावा बिहार और नेपाल से भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। दवाओं की कमी के चलते न केवल अस्पताल की साख पर असर पड़ा है, बल्कि मरीजों का भरोसा भी कमजोर हो रहा है। मरीजों की मानें तो अस्पताल में दवाओं की कमी उनके इलाज में बड़ी बाधा बन रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
एसएमओ डॉ. अरविंद कुमार ने बताया, “दवाएं जल्द ही उपलब्ध हो जाएंगी। प्रक्रिया में थोड़ी देरी हो रही है, लेकिन हम इसे प्राथमिकता से देख रहे हैं। टेंडर के बाद सैंक्शन मिल चुका है और उम्मीद है कि इस सप्ताह दवाओं की सप्लाई शुरू हो जाएगी।”
फिर भी नहीं खत्म हो रही मरीजों की परेशानी
हर बार नई तारीख और नया आश्वासन मिलने के बाद भी मरीजों को राहत नहीं मिल पा रही है। डॉक्टरों और अधिकारियों के वादों के बावजूद, दवाओं की अनुपलब्धता से मरीजों का इलाज अधर में लटक रहा है। मरीज उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब दवाएं मिलेंगी और कब उनका इलाज सुचारू रूप से शुरू हो पाएगा।