शारदीय नवरात्रि 2024: भगवती को चढ़ाया जाता है अड़हुल का फूल, जानें इसका महत्व
वाराणसी: नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा की पूजा में अड़हुल (जपा-हिबिस्कस) का फूल विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि यह चमकीला लाल फूल माँ दुर्गा को अत्यधिक प्रिय होता है और इसे चढ़ाने से देवी तुरंत प्रसन्न होती हैं। अड़हुल के फूल को शक्ति, ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है, जो नवरात्र के दौरान देवी की उपासना में विशेष स्थान रखता है।
अड़हुल का फूल शक्ति और समृद्धि का प्रतीक
अड़हुल का लाल रंग शक्ति और जीवन ऊर्जा का प्रतीक है। यह देवी दुर्गा की भक्ति का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इसका तेजस्वी रंग माँ की अनंत शक्ति और पराक्रम को दर्शाता है। इसे चढ़ाने से भक्तों को साहस, आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
ध्यान और पूजा में अड़हुल का महत्व
अड़हुल के फूल का उपयोग विशेष रूप से तब किया जाता है जब भक्त माँ दुर्गा की महाकाली, चंडी या कूष्मांडा के रूपों की आराधना करते हैं। इस फूल का चढ़ावा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है और शत्रुओं से रक्षा करता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर जीवन में सकारात्मकता लाने में सहायक माना जाता है।
पूजन विधि में इसका प्रयोग
नवरात्र के किसी भी दिन अड़हुल का फूल देवी को चढ़ाया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन इसका विशेष महत्व होता है। इसे चढ़ाते समय भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।
आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभ
अड़हुल का फूल केवल देवी को प्रसन्न करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पूजा में शामिल करने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। यह देवी की कृपा से जीवन में नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है और समृद्धि लाता है।
इस नवरात्रि, माँ दुर्गा को अड़हुल का फूल अर्पित कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को समृद्ध और सकारात्मक बनाएं।