उत्तर प्रदेश दिल्ली धर्म-कर्म वाराणसी 

बाबा कीनाराम की समाधि, न अंत, न आदि : महत्ता कमतर नहीं, अभिमंत्रित क्रीं कुंड में स्नान का महत्व समस्त तीर्थों से भी प्रभावी

Varanasi : काल-परिस्थितियों के संक्रमणकालीन दौर में वैयक्तिक साधना स्थलों में सुप्तसमय चक्र में लुप्त औघड़दानी शिव और भगवान दत्तात्रेय द्वारा प्रवर्तित अघोर दर्शन को जब अघोराचार्य बाबा कीनाराम ने 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध में काशी के केदारखंड स्थित उसकी मूलपीठ पर पुनर्प्रतिष्ठित किया तो अनादि काल से मानवीय जीवन शैली का एक अंग रहा यह मत एक बार फिर अपने पूर्ण प्रभाव के साथ अस्तित्व में आया। अनेकानेक चमत्कारों और साधना के उच्चतम शिखर की उपलब्धियों के दम पर बाबा कीनाराम ने इसके आध्यात्मिक गुण-धर्म को सहज-सरल सूत्रों के…

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आदिगुरु की काशी श्रद्धा से सराबोर: गुरु पूर्णिमा पर मठों-मंदिरों में लगी कतार, अघोरियों के सर्वमान्य तीर्थस्थान पर हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष

Varanasi : गुरु-शिष्य परम्परा का पावन पर्व, गुरु पूर्णिमा यूं तो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, पर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में इस पर्व का नज़ारा देखते ही बनता है। इस अति आधुनिक वैज्ञानिक युग में अति प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा को देखना, सुनना, समझना अदभुत लगता है। काशी भगवान शिव की नगरी है। इस शहर का कोना-कोना गुरु-पर्व पर गुलज़ार रहता है। हज़ारों मठ-मंदिरों की पनाहगाह, काशी, गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हमें अपनी शानदार विरासत पर इतराने का एक बेहतरीन मौक़ा देती है। हालांकि, इस दिन काशी के…

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