दिल्ली धर्म-कर्म पूर्वांचल वाराणसी सबसे अलग 

रामनगर की रामलीला: सूपर्णखा की नाक कटी, नियति ने रावण का अंत तय किया, नवग्रह के आजाद होने का समय नजदीक

वाराणसी, रामनगर: रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में जब श्रीराम और रावण का महायुद्ध पास आता है, तो उसकी पटकथा सूपर्णखा की कटी नाक से लिखी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह घटना राक्षसों के विनाश और अधर्म के अंत का प्रारंभ है।

सूपर्णखा, रावण की बहन, श्रीराम और लक्ष्मण को देखकर उन पर मोहित हो जाती है और राम से विवाह का प्रस्ताव रखती है। श्रीराम उसे लक्ष्मण के पास भेज देते हैं, लेकिन लक्ष्मण भी उसे अस्वीकार कर देते हैं।

कई बार ठुकराए जाने के बाद, सूपर्णखा क्रोध में अपने राक्षसी रूप में आ जाती है। इस दृश्य को देखकर माता सीता भयभीत हो जाती हैं। श्रीराम के संकेत पर लक्ष्मण उसके नाक और कान काट देते हैं।

यह घटना राक्षसों के अंत की शुरुआत बनती है। घायल और अपमानित सूपर्णखा अपने भाइयों खर और दूषण के पास जाती है और राम-लक्ष्मण से बदला लेने की मांग करती है। खर और दूषण अपनी विशाल सेना के साथ श्रीराम से युद्ध करने के लिए आते हैं, लेकिन श्रीराम के हाथों उनका संहार हो जाता है।

अब सूपर्णखा लंका पहुँचती है और अपने भाई रावण से सारा हाल सुनाती है। रावण पहले उसे शांत करता है, लेकिन अपने मामा मारीच से परामर्श लेने के बाद वह राम से बैर ठान लेता है। मारीच उसे चेतावनी देता है कि राम से बैर करना उसके कुल के विनाश का कारण बनेगा, लेकिन रावण अपने अभिमान में उसे अनसुना कर देता है।

मारीच सोने का कपटी मृग बनकर राम और सीता के सामने प्रकट होता है। सीता उस मृग को देखकर मोहित हो जाती हैं और श्रीराम से उसकी खाल लाने की जिद करती हैं। श्रीराम लक्ष्मण को सीता की रक्षा का आदेश देकर मृग के पीछे जाते हैं। जब राम उसे मारते हैं, तो मृग ‘हाय लक्ष्मण’ की आवाज निकालता है। इस आवाज को सुनकर सीता चिंतित हो जाती हैं और लक्ष्मण को राम की सहायता के लिए भेज देती हैं।

इसी बीच, रावण भिक्षुक का वेश धारण करके सीता के पास आता है और उनसे भिक्षा मांगता है। सीता लक्ष्मण द्वारा खींची गई रेखा के भीतर से भिक्षा देने का प्रयास करती हैं, लेकिन रावण रेखा के बाहर आने का आग्रह करता है। जैसे ही सीता रेखा के बाहर कदम रखती हैं, रावण उनका हरण कर लेता है और आकाश मार्ग से लंका की ओर चल पड़ता है।

सीता की सहायता के लिए गिद्धराज जटायु रावण से युद्ध करते हैं, लेकिन रावण उनके पंख काट देता है, जिससे जटायु गिर पड़ते हैं। इस दौरान सीता अपने आभूषण पर्वतों पर बैठे बंदरों को संकेत के रूप में फेंक देती हैं, ताकि उनका पता लगाया जा सके।

इधर, लक्ष्मण को अकेले आया देख श्रीराम चिंतित हो जाते हैं और पूछते हैं, “तुम सीता को अकेले छोड़कर क्यों आए?” उन्हें संदेह होता है कि सीता अब आश्रम में नहीं हैं। राम की यह चिंता दर्शकों के दिलों में एक गहरा भाव जगाती है।

आरती के साथ इस भावुक दृश्य का समापन होता है, और लीला को विश्राम दिया जाता है। रामनगर की रामलीला, अपने पौराणिक महत्व और आध्यात्मिकता के साथ, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यह लीला न केवल भारतीय संस्कृति की धरोहर है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक भी है।

Related posts