धर्म-कर्म पूर्वांचल वाराणसी 

गोधूलि बेला में पूजा: विशेष महत्व और शुभ फल का प्रतीक, मंत्र जाप और आरती का विशेष प्रभाव

वाराणसी: हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है, और समय का भी इसमें अहम योगदान होता है। इन्हीं समयों में से एक है गोधूलि बेला, जिसे अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। गोधूलि बेला सूर्यास्त से पहले का वह समय है जब दिन और रात का मिलन होता है, और इस समय पूजा-अर्चना करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

गोधूलि बेला का नाम “गौ” और “धूलि” से आया है, जिसका अर्थ है गायों के पैरों से उठी धूल। मान्यता है कि जब गोधूलि के समय गायें चरकर अपने घर लौटती हैं, तब वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस बेला में की गई पूजा नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है और जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।

गोधूलि बेला में पूजा का धार्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार, गोधूलि बेला में पूजा करना अति शुभ माना गया है। यह समय देवताओं के जागरण का होता है, और इस बेला में किए गए मंत्र जाप और आरती का विशेष प्रभाव होता है। यह समय गृह शांति, सुख और संपन्नता की प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा इस समय करने से विशेष फल मिलता है और पारिवारिक जीवन में खुशहाली आती है।

गोधूलि बेला में पूजन की परंपराएं

गोधूलि बेला में पूजा करने की कई परंपराएं हैं। ज्यादातर लोग इस समय तुलसी के पौधे के पास दीप जलाते हैं और आरती करते हैं। इस समय किए गए दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, इस समय में दिया जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और दैवीय शक्तियों की कृपा बनी रहती है।

विज्ञान और गोधूलि बेला

आधुनिक विज्ञान भी इस समय को विशेष मानता है। सूर्यास्त के समय वातावरण में बदलाव होता है, और ऊर्जा का स्तर भी अद्भुत रूप से बदलता है। गोधूलि बेला में पूजा करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है, तनाव कम होता है और मन का संतुलन बेहतर होता है। इस समय ध्यान और साधना करने से आत्मिक शांति भी प्राप्त होती है।

आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष

गोधूलि बेला को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय किया गया ध्यान और साधना साधकों को उनके आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ाने में सहायक होता है। इस समय प्रकृति का हर हिस्सा जैसे पूजा-अर्चना का हिस्सा बन जाता है, और इससे साधक को आत्मिक बल मिलता है।

गोधूलि बेला में पूजा का फल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गोधूलि बेला में पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता का आगमन होता है। यह समय भक्तों को उनके मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। जो लोग नियमित रूप से इस समय पूजा करते हैं, उन्हें स्वास्थ्य, धन और सुख-शांति का वरदान मिलता है।

गोधूलि बेला में पूजा केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि यह प्रकृति और परमात्मा के साथ एकात्मता का अनुभव कराने वाला समय है। इस विशेष बेला में पूजा-अर्चना करके भक्तजन अपने जीवन को खुशहाल और समृद्ध बना सकते हैं।

Related posts