नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा: जानें क्या लगाएं भोग, जीवन की सभी बाधाएं होंगी दूर
वाराणसी: नवरात्रि के सातवें दिन देवी के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन शक्ति साधकों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि माँ कालरात्रि तमाम नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं और भक्तों को भय और कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं। इस दिन माँ की पूजा विधि-विधान से करने पर विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कौन हैं माँ कालरात्रि?
माँ कालरात्रि देवी दुर्गा के उग्र और भयानक स्वरूप के रूप में मानी जाती हैं। इनके स्वरूप से अज्ञान और अंधकार का नाश होता है, और ये भक्तों के सभी प्रकार के भय और संकटों का अंत करती हैं। इनके शरीर का रंग रात के अंधकार की तरह काला है, और इनका वाहन गधा है। इनके चार हाथों में एक हाथ अभय मुद्रा में, दूसरा वरमुद्रा में, तीसरे में लोहे का कांटा, और चौथे में तलवार है। इनका यह स्वरूप भक्तों को सुरक्षा और साहस प्रदान करता है।
माँ कालरात्रि का प्रिय भोग
माँ कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए सातवें दिन पूजा के दौरान उन्हें गुड़ का भोग लगाया जाता है। गुड़ का भोग देवी को बेहद प्रिय माना जाता है और इसे अर्पित करने से भक्तों के सभी कष्ट और रोगों का नाश होता है। गुड़ के साथ ही दूध से बनी मिठाई का भी भोग लगाया जा सकता है, जो देवी को प्रसन्न करता है।
भोग लगाने का महत्त्व
गुड़ का भोग न सिर्फ माँ को प्रिय होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य और शारीरिक सुख-समृद्धि का भी प्रतीक है। पूजा के बाद यह भोग प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, जिससे भक्तों को भी देवी की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन से दुख-दर्द का अंत होता है।
कैसे करें माँ कालरात्रि की पूजा?
माँ कालरात्रि की पूजा में सफेद रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पवित्रता और शांति का प्रतीक है। पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और माँ की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर उनकी आराधना करें। पूजा के दौरान माँ के प्रिय मंत्रों का जाप करें:
“ॐ कालरात्र्यै नमः”
इस मंत्र का जप करने से भक्तों के मन से हर प्रकार का भय और असुरक्षा दूर हो जाती है।
देवी प्रसन्न होती हैं
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा विशेष रूप से भय, रोग और संकटों से मुक्ति के लिए की जाती है। इस दिन माँ को गुड़ का भोग अर्पित करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को उनके सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। श्रद्धालु विधि-विधान से पूजा करके माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।