डकैती के आरोपी SI का जमानत प्रकरण: जमानत अर्जी पड़ने की जानकारी नहीं हुई, लापरवाही पर SHO और ACP के खिलाफ विभागीय जांच
वाराणसी: डकैती के गंभीर आरोप में फंसे दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय को गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जिला जेल से रिहा कर दिया गया। इस मामले ने पुलिस विभाग में हलचल मचा दी है, क्योंकि इसमें रामनगर थाने के पूर्व थानाध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा और कोतवाली सर्किल के पूर्व एसीपी अमित कुमार श्रीवास्तव की लापरवाही उजागर हुई है। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए दोनों के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया है।
क्या है मामला?
22 जून की रात वाराणसी के आभूषण कारोबारी जयपाल कुमार के दो कर्मचारियों से 42 लाख 50 हजार रुपये की लूट की घटना घटी थी। आरोपियों ने रामनगर के पास बस से उतारकर इस बड़ी रकम को लूट लिया था। घटना के करीब एक महीने बाद 13 जुलाई को रामनगर थाने में मामला दर्ज हुआ। कमिश्नरेट की एसओजी टीम ने जांच के दौरान 24 जुलाई को तत्कालीन नदेसर चौकी इंचार्ज सूर्य प्रकाश पांडेय और उसके दो साथियों को 8.05 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया।
दरोगा की गिरफ्तारी और जमानत
इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें सूर्य प्रकाश पांडेय मुख्य आरोपी थे। उनके खिलाफ पुलिस सेवा से बर्खास्तगी की विभागीय कार्रवाई भी चल रही है। लेकिन इस बीच, दरोगा पांडेय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की, और कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। इसके बाद उन्हें गुरुवार को जेल से रिहा कर दिया गया।
लापरवाही और जांच के आदेश
जमानत के बाद यह स्पष्ट हुआ कि रामनगर थानाध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा और एसीपी अमित कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले में गंभीर लापरवाही बरती थी। दोनों अधिकारी न केवल अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असफल रहे, बल्कि उन्होंने उच्चाधिकारियों को भी इस महत्वपूर्ण मामले की जानकारी नहीं दी कि दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय ने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है।
पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने कहा, “अगर समय पर जानकारी मिलती, तो हाईकोर्ट में प्रभावी तरीके से पैरवी की जा सकती थी और दरोगा की जमानत याचिका को खारिज कराया जा सकता था।” इस लापरवाही के चलते दोनों अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया गया है, और अब उनके खिलाफ विभागीय जांच का आदेश जारी किया गया है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब पूरी घटना की गहन जांच की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोका जा सके।