शारदीय नवरात्रि 2024: घर में कलश स्थापना के बाद माता की आरती, कितनी बार और क्यों?
वाराणसी: शारदीय नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा की आराधना का समय होता है। इस अवसर पर घर में कलश की स्थापना करना और माता की आरती करना धार्मिक मान्यता और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। लेकिन घर में कलश स्थापना के बाद माता की आरती कितनी बार करनी चाहिए, यह जानना भी आवश्यक है।
आरती का महत्व
- भक्ति का प्रदर्शन: आरती करना माता की भक्ति का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह माता के प्रति समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक होता है।
- आशीर्वाद की प्राप्ति: नियमित रूप से आरती करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- पवित्रता और शुद्धता: आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह न केवल स्थान को पवित्र बनाता है, बल्कि सभी नकारात्मकता को दूर करता है।
आरती करने की संख्या
- प्रतिदिन की आरती: कलश स्थापना के दिन से नवरात्रि की समाप्ति तक हर दिन माता की आरती करना अनिवार्य है। यह आरती प्रातः और सायंकाल दोनों समय की जा सकती है।
- विशेष अवसर पर आरती: नवरात्रि के दौरान प्रमुख दिन जैसे महाअष्टमी और नवमी पर विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है। इन दिनों माता की आरती का महत्व और भी बढ़ जाता है।
- सप्तमी के दिन विशेष आरती: सप्तमी के दिन कलश स्थापना के बाद माता की आरती का विशेष महत्व है। इस दिन भक्तजन माता को आमंत्रित करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
खुशहाली का संचार
घर में कलश स्थापना के बाद माता की आरती नियमित रूप से की जानी चाहिए। यह न केवल माता के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रदर्शन है, बल्कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का संचार भी करता है। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर, भक्तजन अपने परिवार के साथ मिलकर माता की आरती करें और उनके आशीर्वाद से अपने घर को सुख और समृद्धि से भरपूर बनाएं।