दुबई से चल रहा था साइबर ठगी का खेल: वाराणसी पुलिस की फील्डिंग में चार ठग पकड़े गए, इतने खाते सीज
वाराणसी: साइबर क्राइम टीम और बड़ागांव पुलिस ने एक विशेष ऑपरेशन में चार साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर एक अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड गैंग का भंडाफोड़ किया है। इस गैंग का मुख्य सरगना दिशांत किरीटभाई पाटलिया, गुजरात के जामनगर का निवासी है, जो दुबई स्थित अपराधियों के लिए बैंक खाता ब्रोकर गैंग के रूप में काम कर रहा था।
गिरफ्तारी में बरामद हुए साक्ष्य
पुलिस ने इन साइबर अपराधियों के पास से कई मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, सिमकार्ड, पासबुक और नकदी बरामद की है। इन सभी का उपयोग यह गैंग डिजिटल हाउस अरेस्टिंग और इन्वेस्टमेंट स्कैम जैसी आपराधिक गतिविधियों में करता था। यह गैंग फर्जी लेन-देन के लिए सीमित अवधि वाले एटीएम कार्ड और फर्जी पंजीकरण का सहारा लेता था।
विशाल सिंह की शिकायत से खुला मामला
इस मामले की शुरुआत हरहुआ निवासी विशाल सिंह की शिकायत से हुई, जिन्होंने साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उन्हें निवेश के बहाने धोखा दिया गया। उनके नाम से कई फर्जी बैंक खाते खुलवाए गए, जिनमें बड़े स्तर पर लेन-देन हो रहा था। पुलिस ने जांच शुरू की और सर्विलांस की मदद से अपराधियों का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
दुबई से संचालित होता है पूरा नेटवर्क
जांच में यह बात सामने आई कि दिशांत किरीटभाई दुबई में रहने वाले राकेश नाम के व्यक्ति के लिए काम करता था। राकेश इस गैंग के खातों की डीलिंग देखता था, और दिशांत उससे कई बार दुबई में मिल चुका है। अन्य गिरफ्तार आरोपियों में दीपक दिनेश भाई, सत्यम मिश्रा (मंगारी, फूलपुर निवासी) और नितिन पांडेय (औराई, भदोही निवासी) शामिल हैं, जो फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग कर बैंक खाते खोलते और गैंग के लिए पैसे कमाते थे।
बैंक खाता देने पर मिलती थी मोटी रकम
पूछताछ के दौरान सत्यम मिश्रा ने खुलासा किया कि सरकारी बैंक का खाता देने पर 10,000 रुपये और प्राइवेट बैंक का खाता देने पर 15,000 रुपये मिलते थे। यह गैंग विभिन्न फर्जी आईडी का प्रयोग कर साइबर फ्रॉड के लिए खाते खोलने का काम करता था।
25 खाते सीज, 90 खातों पर जांच जारी
डीसीपी गोमती जोन प्रमोद कुमार ने बताया कि अब तक इन अपराधियों की निशानदेही पर 25 फर्जी खाते सीज किए जा चुके हैं, और करीब 90 खातों की जांच जारी है।