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मिलेगा विशेष आशीर्वाद: नवरात्रि के छठवें दिन माता कात्यायनी को लगाएं शहद का भोग, जानिए महत्व

वाराणसी: नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन माता को शहद का भोग अर्पित करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। माता कात्यायनी का यह स्वरूप अत्यंत सौम्य और करुणामयी है, और उनकी पूजा से भक्तों के समस्त पापों का नाश होता है। शहद का भोग और इसका महत्व माता कात्यायनी को शहद अत्यंत प्रिय है। शहद अर्पित करने से जीवन में मिठास और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह भोग समर्पण…

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कालरात्रि माता: नवरात्रि के सातवें दिन देवी के भयंकर रूप की पूजा का महत्व, इस पुष्प को अर्पित करें

पंडित लोकनाथ शास्त्री वाराणसी: देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से कालरात्रि माता का स्थान सातवां है, जिन्हें नवरात्र के सातवें दिन श्रद्धापूर्वक पूजा जाता है। कालरात्रि का यह नाम उनके भयंकर स्वरूप से उत्पन्न हुआ है, जिसमें उनका वर्ण काजल के समान काला है। पुराणों के अनुसार, शुंभ-निशुंभ और उसकी सेना को देखकर देवी के क्रोध में आने पर उनका श्यामल स्वरूप प्रकट हुआ, जिससे देवी कालरात्रि का उदय हुआ। माता कालरात्रि का स्वरूप और शक्ति पुराणों में देवी कालरात्रि को चार भुजाओं वाला बताया गया है। उनकी दाहिनी…

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रामनगर की रामलीला: श्रीराम ने जामवंत की सलाह पर युद्ध टालने अंगद को लंका भेजा, रावण का मानमर्दन

रामनगर, वाराणसी: रामजी की वानरी सेना कहने को वानरों की थी। इसमें एक से बढ़कर एक शूरवीर थे। हनुमान ने तो पहले ही अपनी वीरता से लंका के नाक में दम कर तिगनी का नाच नचा दिया था। आज जब अंगद की बारी आई तो उन्होंने तो रावण के हर छोटे बड़े शूरमा को लज्जित तो किया ही रावण का भी मानमर्दन कर दिया। रामलीला के इक्कीसवें दिन अंगद विस्तार की लीला हुई। जब समुद्र पार करके राम की सेना लंका में प्रवेश की तो जामवंत की सलाह पर युद्ध…

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रामनगर की रामलीला: वानरी सेना का लंका प्रस्थान, रावण ने विभीषण को राज्य से निकला

रामनगर, वाराणसी: प्रसिद्ध रामलीला के बीसवें दिन, भगवान श्रीराम की वानरी सेना ने लंका की ओर प्रस्थान किया। श्रीराम ने अपने प्रिय भक्त हनुमान से माता सीता का पता पाने के बाद वानरों और भालुओं से भरी सेना को लंका की ओर बढ़ने का आदेश दिया। यह अद्वितीय दृश्य उस आदर्श की पुनर्स्थापना करता है, जो सदियों से धर्मग्रंथों में लिखा गया है: सत्य की विजय और अधर्म का नाश अवश्य होता है। वानर सेना उत्साह और देवताओं की जयकार के साथ श्रीराम के नेतृत्व में लंका की ओर अग्रसर…

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शारदीय नवरात्रि 2024: घर में कलश स्थापना के बाद माता की आरती, कितनी बार और क्यों?

वाराणसी: शारदीय नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा की आराधना का समय होता है। इस अवसर पर घर में कलश की स्थापना करना और माता की आरती करना धार्मिक मान्यता और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। लेकिन घर में कलश स्थापना के बाद माता की आरती कितनी बार करनी चाहिए, यह जानना भी आवश्यक है। आरती का महत्व आरती करने की संख्या खुशहाली का संचार घर में कलश स्थापना के बाद माता की आरती नियमित रूप से की जानी चाहिए। यह न केवल माता के प्रति आस्था…

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शारदीय नवरात्रि 2024: माता को लगाइए दही और मीठे का भोग, जानिए महत्व

वाराणसी: नवरात्रि के पावन पर्व पर देवी दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है। इस दौरान भक्तजन अपनी श्रद्धा से माता को विभिन्न भोग अर्पित करते हैं, जिनमें दही और मीठे का भोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इन भोगों का चयन केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अर्थों के लिए भी किया जाता है। दही का महत्व मीठे का भोग धार्मिक आस्था नवरात्रि के दौरान माता को दही और मीठे का भोग अर्पित करना न केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन है, बल्कि यह हमारे जीवन…

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शारदीय नवरात्रि 2024: स्कंद माता की पूजा, पांचवें दिन भोग में क्या चढ़ाएं?

वाराणसी: शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन, माता स्कंद माता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्तों द्वारा माता को विशेष भोग अर्पित किया जाता है, जो उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्कंद माता की विशेषताएं स्कंद माता, देवी दुर्गा का एक प्रमुख रूप हैं, जिन्हें भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें प्रेम, शक्ति और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। उनकी कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भोग का महत्व इस…

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7 अक्टूबर: भारत और विश्व के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं और प्रसिद्ध जन्मदिवस

7 अक्टूबर का दिन इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं और महान व्यक्तियों के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन की कुछ खास घटनाएँ और जन्मदिवस निम्नलिखित हैं: भारत और विश्व की प्रमुख घटनाएं प्रसिद्ध जन्मदिवस भारत में विश्व में इस दिन की विशेषताएं 7 अक्टूबर का दिन साहित्य, विज्ञान, कला और राजनीति से जुड़े कई व्यक्तियों के जन्म का गवाह रहा है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया।

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मां कात्यायनी: शुद्धता, साहस और दिव्यता का प्रतीक, छठवें दिन की पूजा इस तरह करें

पंडित लोकनाथ शास्त्री नवरात्रि के छठवें दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। वह सभी देवताओं की दिव्य चमक का शुद्ध प्रतिबिंब हैं। जब राक्षसों से परेशान देवताओं ने महर्षि कात्यायन के आश्रम में सहायता मांगी, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी ऊर्जा को एकीकृत किया और इससे माँ कात्यायनी का दिव्य रूप प्रकट हुआ। चूँकि वे कात्यायन आश्रम में प्रकट हुई थीं और महर्षि कात्यायन ने उनकी पूजा की थी, इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा गया। कात्यायनी देवी चार भुजाओं वाली हैं- वरदान देने, भय से मुक्ति देने,…

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रामनगर की रामलीला: मोहिं न कछु बांधे कइ लाजा, कीन्ह चहौं निज प्रभु कर काजा, और देखते ही देखते लंका जल कर खाक हो गई

रामनगर, वाराणसी: हनुमान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। प्रभु का उनको आशीर्वाद प्राप्त है। तो कैसे पीछे रहें राम काज करने में। मिनटों में सौ जोजन पर भानु समुद्र लांघ गए। सुरसा को चकित कर दिया। और तो और जिस सोने की लंका पर रावण को गुमान था उसे देखते ही देखते जला कर राख कर दिया। रामलीला के उन्नीसवें दिन हनुमान सबसे अपने आने की प्रतीक्षा करने के लिए कहकर मैनाक पर्वत पर चढ़े तो पर्वत धंस गया। वे कहते हैं कि राम का कार्य किए बिना मैं विश्राम…

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