नवरात्रि में तीन दिन का उपवास: पूर्ण व्रत के समान फल प्राप्त करने का मार्ग, महाअष्टमी तिथि का विशेष महत्व
पंडित लोकनाथ शास्त्री
वाराणसी: यदि कोई व्यक्ति संपूर्ण नवरात्र के उपवास नहीं कर सकता तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी (इस वर्ष 10, 11 और 12 अक्टूबर) को उपवास कर देवी दुर्गा की पूजा करने से उसे पूरे नवरात्रि व्रत का फल प्राप्त होता है। 12 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से पहले उपवास खोलने का समय शास्त्रों के अनुसार निर्धारित है।
नवरात्रि के दौरान उपवास के साथ-साथ शुद्ध आचरण बनाए रखना आवश्यक है। झूठ बोलने, कपट, चोरी या किसी और की वस्तु का अनुचित उपयोग करने से बचना चाहिए। इस पवित्र समय में नकारात्मक कर्मों का त्याग करना श्रेष्ठ माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। “निर्णयसिन्धु” के पृष्ठ 375 के अनुसार, महाअष्टमी व्रत और महानवमी का व्रत 11 अक्टूबर को करना शास्त्र सम्मत है। इस दिन कन्या पूजन और हवन का आयोजन करना अत्यंत शुभ माना गया है।