धर्म-कर्म पूर्वांचल वाराणसी 

क्रीं-कुंड में उमड़ा आस्था का सैलाब: अघोरेश्वर महाप्रभु के महानिर्वाण दिवस पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने किया नमन

वाराणसी के विश्वविख्यात अघोरपीठ क्रीं-कुंड पर शुक्रवार को श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। अघोरेश्वर महाप्रभु बाबा अवधूत भगवान राम के महानिर्वाण दिवस पर देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने उन्हें नमन किया। महाप्रभु को उनके तपोबल और समाज कल्याण के लिए किए गए अतुलनीय कार्यों के कारण अध्यात्म की दुनिया में अद्वितीय स्थान प्राप्त है।

अघोरेश्वर के सामाजिक संदेश और योगदान

महाप्रभु बाबा अवधूत भगवान राम ने ‘श्री सर्वेश्वरी समूह’ की स्थापना कर समाज में बदलाव की अनूठी मिसाल पेश की। 19 सूत्रीय सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा और अस्पृश्य माने जाने वाले अघोर परंपरा को मुख्यधारा से जोड़ा। 29 नवंबर 1992 को महाप्रभु ने अपनी मानव काया का त्याग किया। तब से यह दिन महानिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

क्रीं-कुंड में आयोजन की शुरुआत

क्रीं-कुंड अघोरपीठ में सुबह सफाई और प्रातःकालीन आरती के साथ कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के मार्गदर्शन में महाप्रभु की समाधि और प्रतिमा पर माल्यार्पण और आरती की गई। इसके बाद भक्तों ने महाप्रभु को प्रसाद अर्पित किया।

सफल योनि पाठ और मंत्र जाप

क्रीं-कुंड के मीडिया प्रभारी संजय सिंह ने बताया कि इस अवसर पर ‘सफल योनि’ पुस्तिका का पाठ किया गया, जिससे उपस्थित जनसमुदाय भाव-विभोर हो गया। श्रद्धालुओं ने ‘अघोरानाम परो मंत्रः नास्ति तत्त्वं’ और ‘श्री सर्वेश्वरी त्वं पाहिमाम शरणागतम’ जैसे मंत्रों का जाप कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

भंडारा और प्रसाद वितरण

कार्यक्रम के अंतिम चरण में भंडारा आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। यह आयोजन देर शाम तक जारी रहा।

देश-विदेश से श्रद्धालुओं का जमावड़ा

महानिर्वाण दिवस पर क्रीं-कुंड परिसर में देश-विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे। इस अवसर ने एक बार फिर महाप्रभु के समाज सेवा और अध्यात्मिक योगदान की अमिट छाप को जीवंत कर दिया।

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