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गांव में बदलाव: दिया बाती और लालटेन का अंत, काजल बनाने के लिए दूसरे का सहारा

सतीश कुमार

गांव आजकल

गांवों में बदलाव आ रहा है, और यह बदलाव हमारी पारंपरिक जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है। दिया बाती और लालटेन, जो एक समय गांवों में आम बात थे, अब देखने को नहीं मिलते हैं। इसके अलावा, काजल बनाने के लिए भी लोग अब दूसरे का सहारा लेना होता है।

दिया बाती और लालटेन का अंत

दिया बाती और लालटेन, जो गांवों में रोशनी का साधन थे, अब लगभग विलुप्त हो गए हैं। इनकी जगह अब बिजली के बल्ब और एलईडी लाइट्स ने ले ली है। यह बदलाव हमारी जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है और हमें नए तरीकों से जीने के लिए मजबूर कर रहा है।

काजल बनाने के लिए दूसरे का सहारा

काजल, जो एक समय गांवों में महिलाओं की सुंदरता का प्रतीक था, अब बनाने के लिए दूसरे का सहारा लेना होता है। इसकी जगह अब बाजार में उपलब्ध काजल पेंसिल्स और लिक्विड काजल ने ले ली है। यह बदलाव हमारी पारंपरिक जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है और हमें नए तरीकों से सुंदर दिखने के लिए मजबूर कर रहा है।

गांवों में बदलाव के कारण

गांवों में बदलाव के कई कारण हैं। शहरीकरण, बिजली की उपलब्धता, और बाजार में नए उत्पादों की उपलब्धता ने हमारी पारंपरिक जीवनशैली को प्रभावित किया है। इसके अलावा, नई पीढ़ी की पसंद और आवश्यकताएं भी बदलाव के कारण हैं।

निष्कर्ष

गांवों में बदलाव आ रहा है, और यह बदलाव हमारी पारंपरिक जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है। दिया बाती और लालटेन का अंत, और काजल बनाने के लिए दूसरे का सहारा लेना होता है, यह बदलाव हमें नए तरीकों से जीने के लिए मजबूर कर रहा है।

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