राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और चिकित्सालय बिमार: दवा न मिलने से मरीजों में मायूसी, जानिए इस अस्पताल के मर्ज की A To Z कहानी
OMPrakash Chaudhari
Varanasi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चलाई गई आयुर्वेद जागरूकता मुहिम के बाद लोगों में आयुर्वेद के प्रति लगाव बढ़ा है। Varanasi में BHU के बाद चौकाघाट लकड़ी मंडी स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और चिकित्सालय में बनारस सहित गैर जनपद और पड़ोसी राज्य बिहार से भी मरीज उपचार के लिए आते हैं। शासन द्वारा लगातार प्राथमिक चिकित्सालयों और सरकारी हॉस्पिटलों के डॉक्टरों को बाहर की दवा न लिखने की चेतावनी दी जा रही है।
वहीं, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और चिकित्सालय में अधिकांश दवा उपलब्ध न होने के कारण डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवा लिखने को मजबूर हैं। अधिकांश दवा हॉस्पिटल से न मिलने के कारण दूर-दराज से इलाज के लिए आए अशोक वर्मा, राम गोविंद मिश्रा, कृष्णा चौधरी सहित अन्य दर्जनों मरीजों के हाथ बुधवार को भी मायूसी लगी। मुजफ्फरपुर, बिहार से आए मरिज रतन कुमार ने बताया कि हमें पैर और कंधे में नस से संबंधित दिक्कत है।
यहां दिखाने आए थे। यहां डॉक्टर का व्यवहार तो हल्का चलाने लायक है लेकिन डॉक्टर द्वारा लिखे गए दवा में एक भी दवा राजकीय आयुर्वेद हॉस्पिटल दवा वितरण केंद्र से नहीं मिला। उन्होंने इसे भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा बताया।
काउंटर पर नहीं है चस्पा औषधि वितरण लिस्ट
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के औषधि वितरण कक्ष के काउंटर के शीशे पर पहले उपलब्ध औषधि (दवा) की लिस्ट चस्पा होती थी, जिसमें हॉस्पिटल में उपलब्ध दवा के बारे में जानकारी रहती थी। औषधि वितरण कर्मी द्वारा दिए गए दवा का मिलान मरिज करते थे की जो दवा उपलब्ध है वह दिया गया है या नहीं। खुद को दिखाने पहुंचे ज्यादातर का कहना था कि अब जब उपलब्ध औषधि की सूची चस्पा ही नहीं है तो मरिज मिलान कैसे करें?
इस वजह से सरकारी अस्पतालों में दी जाती है दवा
सामाजिक सेवा: सरकारी अस्पतालों का मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, जो महंगी दवाओं को खरीदने में असमर्थ होते हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य: मुफ्त दवा देने से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, क्योंकि इससे बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सकता है और उनका इलाज किया जा सकता है।
आर्थिक सहायता: मुफ्त दवा देने से गरीब लोगों को आर्थिक सहायता मिलती है, जो महंगी दवाओं को खरीदने में असमर्थ होते हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा: मुफ्त दवा देने से स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि इससे लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन: मुफ्त दवा देने से सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन होता है, जैसे कि आयुष्मान भारत योजना और अन्य स्वास्थ्य सेवा योजनाएं।
चिकित्सकीय व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए सरकार उठा रही है ये कदम
उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सकीय सुविधा को और बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठा रही है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार: उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार कर रही है, जिसमें नए अस्पतालों का निर्माण और मौजूदा अस्पतालों का उन्नयन शामिल है।
चिकित्सा सेवाओं का आधुनिकीकरण: उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सा सेवाओं का आधुनिकीकरण कर रही है, जिसमें नए चिकित्सा उपकरणों की खरीद और चिकित्सा प्रौद्योगिकी का उन्नयन शामिल है।
चिकित्सा शिक्षा में सुधार: उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सा शिक्षा में सुधार कर रही है, जिसमें नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण और मौजूदा मेडिकल कॉलेजों का उन्नयन शामिल है।
स्वास्थ्य सेवाओं का विकास: उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं का विकास कर रही है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान शामिल हैं।
इन कदमों से उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सकीय सुविधा को और बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रही है।
जानिए सरकारी डॉक्टर के लिए बनाए गए नियम
उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के लिए कई नियम लागू हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं दी है।
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों में ही काम करना होगा, और उन्हें निजी अस्पतालों में काम करने की अनुमति नहीं है।
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी, और उन्हें अपने कार्यालय में उपस्थित रहना होगा।
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करना होगा, और उन्हें मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करने की अनुमति नहीं है। इन नियमों का पालन न करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
पढ़िए आयुर्वेद अस्पताल के SMO ने क्या कहा
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और चिकित्सालय के SMO डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि इस समय दवा खत्म हो गई है। टेंडर हो चुका है। दवा उपलब्ध कराने के लिए दवा की कंपनियों का सेंसन हो चुका है। कंपनी वाले दवा इस हफ्ते में भेजने को बोले हैं।