मातमी माहौल में इमामबाड़ा के लिए निकली ताजिया: सुरक्षा के मुकम्मल बंदोबस्त, या हुसैन की सदाएं गूंजी
Varanasi : मातमी माहौल के बीच बुधवार को यौमे असुरा (दसवीं मोहर्रम) पर देहात और शहर में ताजियों का जुलूस निकला। सड़को पर या हुसैन की सदाएं गूंजी। युवकों, बच्चों और बुजुर्गों ने पटा-बनेठी सहित युद्ध कौशल दिखाए। शाम को दसवीं मोहर्रम पर शिया समुदाय का दुलदुल का जुलूस कालीमहाल से निकला।
ताजियों को कंधा देने के लिए लोग आतुर थे। कई जगहों पर कामा और खंजर का मातम हुआ। फातमान, लाट सरिया, इमामबाड़ा और भेलूपुर के भवनियां में ताजियों को ठंडा किया जा रहा था। इस दौरान कमिश्नरेट पुलिस की ओर से सुरक्षा के मुकम्मल बंदोबस्त किए गए थे।
इसी क्रम में काशीराम आवास से भी ताजिया का जुलूस निकाला। थाना प्रभारी उदयवीर सिंह, काशीराम चौकी प्रभारी राहुल कुमार सिंह, SI पवन जायसवाल, खुशबू सिंह, हेड कांस्टेबल अरविंद सरोज, शैलेंद्र, संजय, रुचि, नीलम, रेखा, आरती, सन्नो आदि पुलिसकर्मी इस दौरान शिवपुर थाना क्षेत्र में मुस्तैद थे।
सोशलिस्ट इमरान खान, मुमताज बानो, मोहम्मद नबी, नरेश त्यागी, अजय कुमार आदि ने इस बीच व्यवस्था बेहतर बनाए रखने के लिए पुलिस की मदद की। मोहम्मद इमरान ने बताया कि इराक के कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और यजीद की सेना के बीच जंग हुई थी।
इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजिए निकाले जाते हैं। ताजियों का निर्माण मोहर्रम का चांद नजर आते ही शुरू हो जाता है।