बुद्ध की शिक्षा का संदेश: धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा का विमोचन, नई पीढ़ी के लिए कही गई ये बात
वाराणसी के केंद्रीय तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान, सारनाथ में बुद्ध धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा पर विशेष आवरण और विमोचन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कर्नल विनोद कुमार ने बुद्ध के मध्यम मार्ग की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए नई पीढ़ी को उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
बुद्ध के सिद्धांत और नई पीढ़ी
कर्नल विनोद कुमार ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के इस युग में भी बुद्ध का मध्यम मार्ग बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने मोबाइल के अत्यधिक उपयोग को उदाहरण बनाते हुए बताया कि अत्यधिक प्रयोग से मानसिक और शारीरिक दुर्बलता होती है, जबकि संयमित उपयोग ज्ञान और विकास का मार्ग खोलता है।
उन्होंने विद्यार्थियों को अच्छी पुस्तकों के अध्ययन और नवाचार के प्रति प्रेरित किया। साथ ही, यह जिम्मेदारी भी साझा की कि ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना सभी का कर्तव्य है।
बुद्ध के आदर्शों की प्रेरणा
कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान के उप कुलपति ने बुद्ध के दिखाए मार्ग को दैनिक जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने ज्ञान अर्जन को जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए राग, द्वेष, और मोह से मुक्त होने का संदेश दिया।
हिंदी की प्रख्यात कवयित्री डॉ. नीरजा माधव ने कहा कि बुद्ध ने लोभ-विलास और कठोर तपस्या के बीच संतुलन साधने का मार्ग दिखाया है। यही मध्यम मार्ग मानव जीवन को सुंदर और सार्थक बनाता है।
धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा का महत्व
जम्बुद्वीप श्रीलंका बुद्धिष्ठ मंदिर, सारनाथ के विहाराधिपति डॉ. के. सिरी सुमेधा थेरो ने डाक विभाग द्वारा धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा जारी करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इसे विश्व और भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन की संज्ञा दी।
कार्यक्रम में उपस्थिति
इस मौके पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहायक अधीक्षण पुरातत्ववेत्ता राजेश, डाक विभाग के प्रवर अधीक्षक राजीव कुमार, सहायक निदेशक भोला साह, और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने बुद्ध की शिक्षाओं को जीवन में अपनाने और नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देने पर जोर दिया।