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Navratri 2024: विश्वनाथ मंदिर में इस बार नवरात्रि पर विशेष झलक, जानिए क्या खास है?

वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में इस बार नवरात्रि का पर्व बेहद भव्य तरीके से मनाया जाएगा। 03 अक्टूबर 2024 से शुरू हो रहे इस पावन उत्सव में मंदिर प्रांगण और सांस्कृतिक मंच पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। मंदिर में होने वाले सभी कार्यक्रमों की पूरी रूपरेखा इस प्रकार है:

नवरात्रि के विशेष कार्यक्रम

प्रथमा (03-10-2024):

  • प्रातःकाल: शास्त्रीगण द्वारा कलश स्थापना (मंदिर परिसर में)।
  • सायंकाल: भजन और बनारसी लोकगीत “पचरा” (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

द्वितीया (04-10-2024):

  • सायंकाल: रामलीला में धनुष यज्ञ का मंचन (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

तृतीया (05-10-2024):

  • सायंकाल: रामलीला में रावण वध का मंचन (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

चतुर्थी (06-10-2024):

  • सायंकाल: बंगाली लोक नृत्य “धनूची” (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

पंचमी (07-10-2024):

  • सायंकाल: 51 शक्तिपीठों को प्रतिबिंबित करती 51 मातृशक्तियों द्वारा “ललिता सहस्रनाम स्तोत्र” का पाठ (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

षष्ठी (08-10-2024):

  • सायंकाल: महिषामर्दिनी स्तोत्र पर आधारित नृत्य (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

सप्तमी (09-10-2024):

  • सायंकाल: देवी मां के भजनों का आयोजन (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

अष्टमी (10-10-2024):

  • सायंकाल: माता के नौ स्वरूपों को दर्शाती 9 कन्याओं द्वारा “दुर्गा सप्तशती” का पाठ (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

नवमी (11-10-2024):

  • प्रातःकाल: यज्ञ / हवन का आयोजन (नीलकंठ मंदिर के समीप यज्ञ कुंड पर)।
  • सायंकाल: भजन और नृत्य (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

दशमी (12-10-2024):

  • प्रातःकाल: सांकेतिक रूप से शस्त्र पूजा (मंदिर प्रांगण में)।
  • सायंकाल: शास्त्रीय युद्ध कला का प्रदर्शन (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच)।

नवरात्रि के नियमित कार्यक्रम

  • नौ दिनों तक पांच शास्त्रियों द्वारा दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ।
  • हर दिन विशालाक्षी माता को चुनरी, सोलह श्रृंगार और प्रसाद भेंट।
  • सिद्ध पीठों में नौ देवियों को प्रतिदिन चुनरी, सोलह श्रृंगार और प्रसाद चढ़ाए जाएंगे।

इस नवरात्रि पर्व में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन श्रद्धालु भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम देख सकेंगे। मंदिर परिसर में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी खास व्यवस्था की गई है, जो पूरे नौ दिन तक चलेंगे।

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