धर्म-कर्म पूर्वांचल वाराणसी 

शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, उपासना करने से मिलती है विशेष सिद्धि

वाराणसी: शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें दुर्गाघाट स्थित मंदिर पर देखी गईं। सुबह होते ही भक्तगण मां के जयकारे लगाते हुए मंदिर के बाहर एकत्रित होने लगे। मां की भव्य आरती और पूजन-अर्चन के बाद भक्तों ने सुख-समृद्धि की कामना की और मां के दर्शन से निहाल हो गए।

मां ब्रह्मचारिणी का महत्त्व: मां ब्रह्मचारिणी, देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं, जिनके पूजन से धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था। उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण उन्हें तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। उनकी तपस्या की कहानी हजारों वर्षों तक निराहार रहने और सूखे पत्तों का आहार ग्रहण करने के दौरान की गई कठिन साधना पर आधारित है, जिससे महादेव प्रसन्न हो गए।

तप, त्याग, और वैराग्य की देवी: ब्रह्मचारिणी मां को त्याग और तपस्या की देवी माना जाता है। उनकी उपासना से भक्तों में तप, त्याग, वैराग्य और सदाचार की वृद्धि होती है। मां की कृपा से भक्तों को सर्वत्र विजय प्राप्त होती है, और जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं, वे मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन से जीवन की परीक्षाओं में सफलता पाते हैं।

भक्तों की श्रद्धा: मंदिर के सेवादारों के अनुसार, देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से भक्तों को विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। भक्तों का मानना है कि मां के दर्शन मात्र से जीवन की अनेक परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। भोर से ही मां के भक्त मंदिर में दर्शन के लिए लंबी लाइनों में खड़े हो गए थे, और दिनभर श्रद्धालुओं का आना-जाना जारी रहा।

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