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OTP जैसे लोग और LIC जैसी बातें: क्या आप वाकई कभी समझ पाएंगे?

व्यंग्य

आजकल के रिश्ते कुछ OTP (One Time Password) जैसे हो गए हैं। जी हां, जैसे OTP आता है, आपको लगता है अब जीवन सेट हो गया, और अगले ही पल वह खत्म हो जाता है। बस एक ही उपयोग, एक ही दिन का इस्तेमाल।

बिना किसी भविष्यवाणी के, बिना किसी स्थायित्व के। और फिर आते हैं वो LIC वाले लोग, जिनके लिए जिंदगी की सारी बातें हैं, लेकिन सिर्फ एक बात नहीं- ‘क्या आप पॉलिसी ले रहे हैं?’ जैसे हर रिश्ते में एक बोनस पॉलिसी का ऑफर हो।

OTP वाले लोग जैसे आपको हर वक्त जरूरत के हिसाब से मिलते हैं, और LIC वाले लोग जैसे आपको हर वक्त ‘जीवन के हर मोड़ पर आपका साथ’ देने का वादा करते हैं, लेकिन किसी भी योजना में कभी कोई रिटर्न नहीं दिखता।

आजकल हर फोन में OTP आता है, और हम खुश हो जाते हैं कि कुछ हो गया, पर क्या आपने कभी सोचा, जिस तरह उस OTP का पासवर्ड जल्दी खत्म हो जाता है, वैसे ही कुछ लोग भी हमारे जीवन में बस उसी तरह आते हैं, जैसे ‘समान्य’ पॉलिसी वाले।

तो अब ये समझ लीजिए कि OTP और LIC की बातें कुछ खास नहीं होतीं, दोनों ही हमें आजकल के यथार्थ से पर्दा उठाने का काम करते हैं- ‘थोड़ा सोचिए, क्या आप इसी भविष्य की उम्मीद पर जी रहे हैं?’

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