काशी का गौरव: उप राष्ट्रपति ने ‘नमो घाट’ का उद्घाटन किया, बोले-भारत की सांस्कृतिक धरोहर को मिली नई पहचान
वाराणसी: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को काशी के ‘नमो घाट’ का उद्घाटन किया, जो अब विश्व के सबसे बड़े और सबसे सुंदर घाटों में एक मानी जाती है। इस उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे।
भारत की सनातन धारा और काशी का महत्व
अपने संबोधन में उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सनातन की भूमि है और काशी इसका केंद्र है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सभी को समाहित करने की शक्ति भी रखता है, यहां तक कि आक्रमणकारियों को भी। उप राष्ट्रपति ने काशी की सांस्कृतिक समृद्धि और उसकी परंपराओं का विशेष उल्लेख किया, जो हमेशा प्रज्ज्वलित रहती हैं।
योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व क्षमता की सराहना
उप राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष सराहना करते हुए उन्हें ‘तपस्वी’ बताया और कहा कि योगी जी अपनी लगन और निष्ठा से उत्तर प्रदेश को एक उत्कृष्ट उद्यम प्रदेश बना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही मुख्यमंत्री योगी भी राज्य के संरक्षण, सृजन, और दूरदर्शी विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
नमो घाट उद्घाटन के ऐतिहासिक पहलू
उप राष्ट्रपति ने इस उद्घाटन को अपने लिए सौभाग्य का क्षण बताया और कहा कि इसे एक ऐतिहासिक दिन के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि इस दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती भी है।
भारत की सांस्कृतिक धरोहर की सराहना
उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और संवर्धन पर जोर दिया, जिसे ऋषि-मुनियों ने हमेशा प्राथमिकता दी। उप राष्ट्रपति ने कहा कि स्वदेशी भावना को बढ़ावा देते हुए, हमें भारतीय संस्कृति और उसकी जड़ों को संजोने का प्रयास करना चाहिए।
समाज की एकता को बढ़ावा देने वाला देव दीपावली उत्सव
उप राष्ट्रपति ने देव दीपावली को समाज की एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह पारंपरिक उत्सव हर वर्ग को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने इसे भारत के बदलते हुए परिदृश्य के रूप में देखा और इसे अपने लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण बताया।
समारोह में शामिल गणमान्य व्यक्ति
इस उद्घाटन समारोह में उप राष्ट्रपति की पत्नी सुदेश धनखड़, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
नमो घाट के उद्घाटन के साथ वाराणसी ने अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को एक नई पहचान दी है, और यह घाट अब काशी के आस्थाओं और पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन गया है।